सब्जी उत्पादक किसान उठा रहे घाटा
स्थानीय सब्जी उत्पादक किसान इन दिनों खासे परेशान हैं। उन्हें अपने खेतों पर उगाई सब्जियां बरसात में बचाना मुश्किल हो रहा। साथ ही जो सब्जियां तैयार हो जाती हैं उनका बाजार में पूरा मूल्य नहीं मिल पा रहा। सब्जी मंडियों की स्थिति ये है कि बाहर से आ रही सब्जियां तो काफी महंगे दामों में बिक रहीं जबकि स्थानीय किसानों के खेतों में तैयार सब्जी सस्ती हो गई है।
पीलीभीत,जेएनएन : स्थानीय सब्जी उत्पादक किसान इन दिनों खासे परेशान हैं। उन्हें अपने खेतों पर उगाई सब्जियां बरसात में बचाना मुश्किल हो रहा। साथ ही जो सब्जियां तैयार हो जाती हैं, उनका बाजार में पूरा मूल्य नहीं मिल पा रहा। सब्जी मंडियों की स्थिति ये है कि बाहर से आ रही सब्जियां तो काफी महंगे दामों में बिक रहीं जबकि स्थानीय किसानों के खेतों में तैयार सब्जी सस्ती हो गई है।
स्थानीय किसान अपने खेतों में भिडी, तोरई, लौकी, खीरा, करेला, लोबिया, अरबी जैसी सब्जियां उगाते रहे हैं। बाजार में अरबी जब तक बाहरी मंडियों से आती रही, दाम चालीस रुपये प्रति किग्रा रहे। जब स्थानीय किसान के खेत से निकलकर अरबी सब्जी मंडियों में पहुंची तो दाम बीस रुपये किलो रह गए। सब्जी उत्पादक किसानों का कहना है कि वैसे भी बरसात में खेतों में पानी भर जाने से सब्जियों की फसलें खराब हो रहीं,जो सही सलामत रहीं, उनका काम काफी कम मिल रहा है। ऐसे में उन्हें घाटा उठाना पड़ रहा है। फोटो 29बीएसएलपी-5
बारिश से सब्जी की फसल को काफी नुकसान हुआ। पानी में डूब कर तोरई की फसल काफी खराब हुई है। बाजार में दाम भी कम मिल रहे हैं।
रामकुमार ग्राम मुसेली
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कोविड-19 महामारी के चलते इस बार सब्जी की फसल में कोई खास लाभ नहीं हुआ। अभी तक तोरई, लौकी 10 किलो बिकी हुई है। अब बारिश होने से फसल को काफी नुकसान हो गया है।
नन्हे लाल ग्राम सादियां
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बारिश होने से अरबी की सब्जी खराब हो गई है। बाजार में दाम भी कम मिल रहे हैं। तोरई की सब्जी में भी कोई लाभ नहीं हुआ।
चिरौंजीलाल ग्राम मुसेली
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रुक रुक कर लगातार हो रही बारिश है। खेत की तुरई फसल को नुकसान पहुंचा है। बाजार में दाम भी 10 से 15 किलो ही मिल रहे हैं, जिससे लागत नहीं निकल रही है।
छदम्मीलाल ग्राम ढुकसी