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मुस्तफाबाद में ट्रैंक्युलाइज गन की ट्रे¨नग शुरू

पीलीभीत टाइगर रि•ार्व के मुस्तफाबाद परिसर में टाइगर रिजर्व और वन एवं वन्यजीव प्रभाग की ओर से ट्रैंक्युलाइज गन का प्रशिक्षण प्रारंभ हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 10:54 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 10:54 PM (IST)
मुस्तफाबाद में ट्रैंक्युलाइज गन की ट्रे¨नग शुरू
मुस्तफाबाद में ट्रैंक्युलाइज गन की ट्रे¨नग शुरू

पीलीभीत : पीलीभीत टाइगर रि•ार्व के मुस्तफाबाद परिसर में टाइगर रिजर्व और वन एवं वन्यजीव प्रभाग के फील्ड स्टाफ को ट्रैंक्युलाइज गन चलाने की ट्रे¨नग दी गई। मृत वन्यजीवों का सैंपल कलेक्शन तथा रेस्क्यू आपरेशन से रूबरू कराया गया। वन कर्मचारियों के सवालों के जवाब दिए गए।

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मुस्तफाबाद वन विश्राम गृह में दो दिवसीय ट्रैंक्युलाइज गन प्रशिक्षण की कार्यशाला में लखनऊ प्राणी उद्यान के उप निदेशक डॉ. उत्कर्ष शुक्ल ने मृत वन्यजीवों के सैंपल कलेक्शन के संबंध में बताया कि किस तरह सैंपल लिया जाए और क्या सावधानी बरती जाए। उन्होंने बताया कि ऐसी परिस्थिति में जब आपके पास न बर्फ हो और वन्यजीव के मृत शरीर को सुरक्षित रखने के लिए बहते हुए पानी में सुरक्षित रखा जा सकता है। इसके अलावा एक बैग भी आने लगे हैं। उन्होंने डीएनए के सैंपल को भेजने के लिए तैयारी की जानकारी दी। डॉ.शुक्ल ने बताया कि यह पूरी जांच करनी चाहिए कि किस प्रकार वन्यजीव की मौत हुई है। रेस्क्यू ऑपरेशन के संबंध में भीड़ प्रबंधन की जानकारी देते बताया कि ऐसे मामले में जन संपर्क बढ़ाने पर जोर दिया कि सामंजस्य बनाया जाए, तभी सफलता पाई जा सकती है। एक लोकेशन पर रेस्क्यू में आसानी होती है, लेकिन जब मेन इंटर को पकड़ने में लंबी अवधि लगती हैं। इसके लिए प्रबंध योजना बनाये जाने की जानकारी दी। ट्रैंक्युलाइज गन को बहुत ही सावधानी से प्रयोग करना चाहिए , तभी वन्यजीव को बेहोश किया जा सकता है। निर्धारित दवा का इस्तेमाल करना चाहिए। पीलीभीत टाइगर रिजर्व के उप निदेशक आदर्श कुमार ने बताया कि सही जांच तभी हो सकती हैं, जब वहां सबसे पहले वनकर्मी पहुचे। हर छोटे से छोटी चीज नजरी नक्शे में शामिल होनी चाहिए। मृत वन्यजीवों के शरीर मिलने के सौ मीटर के क्षेत्र में कॉशन टेप लगाया जाए। वन अधिवक्ता डीपी ¨सह ने एच टू केस तथा वन्यजीव अपराध के संबंध में जानकारी दी। इस मौके पर उप प्रभागीय वनाधिकारी पूरनपुर प्रवीण खरे, उप प्रभागीय वनाधिकारी (प्रशिक्षण) श्वेता सेन, दिलीप श्रीवास्तव, रेंजर वीके गुप्ता, गिर्राज ¨सह, राजकुमार शर्मा, विश्व प्रकृति निधि के परियोजना अधिकारी नरेश कुमार, डॉ.सुनील कुमार राठौर, डिप्टी रेंजर आरिफ जमाल आदि मौजूद रहे।


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