उद्देश्य से भटक गया टाइगर रिजर्व प्रशासन
टाइगर रिजर्व बनाने का मुख्य उद्देश्य ग्रामीणों व वन्यजीवों का जीवन सुरक्षित रखना था।
पूरनपुर (पीलीभीत) : टाइगर रिजर्व बनाने का मुख्य उद्देश्य ग्रामीणों व वन्यजीवों का जीवन सुरक्षित रखना था। आधी व्यवस्था के बीच पीलीभीत के जंगलों को 9 जून 2014 में टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया गया। अब इस टाइगर रिजर्व में न तो वन्यजीव सुरक्षित है न ही ग्रामीण। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या इसी तरह इंसानों व जानवरों की जान खतरे में पड़ती रहेगी। कुछ माह से बाघों के लगातार मरने से वन्यजीव प्रेमी काफी आहत हैं। वही बाघों के हमलों से मरे लोगो के परिजन आज भी वह मायूस दिन याद कर दुखी हो जाते हैं। बाघ और मनुष्य को बचाने को लेकर जागरण ने कुछ लोगों की राय जानी। टाइगर रिजर्व बनने में प्रधानों का अहम रोल रहा है। टाइगर रिजर्व बनने के दौरान वन विभाग ने जंगली जानवरों और मनुष्यों का जीवन सुरक्षित रखने की बात कही थी। वन विभाग अपने वादे पर खरा नहीं उतर पा रहा है। आशुतोष दीक्षित, प्रधान संघ जिला अध्यक्ष पीलीभीत के जंगल टाइगरों के लिए काफी अनुकूल है। जंगल से सटे खेत में जंगली जानवर घुस जाते हैं शिकार की तलाश में बाघ भी जंगल से बाहर आ जाते हैं। इससे बाघ और मनुष्य दोनों को खतरा बढ़ जाता है। तार फै¨सग होने से इन घटनाओं पर रोकथाम लगेगी। अख्तर मियां, अध्यक्ष टरक्वाइज वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन सोसाइटी
पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जंगल में बाघ देखने को लेकर दूर दराज से लोग आते हैं। बाघों की लगातार मौत से टाइगर रिजर्व की खूबसूरती पर ग्रहण लग रहा है। इसके अलावा बाघों के हमले से कई निर्दोष लोगों की जान भी जा चुकी है। सुरक्षा को लेकर वन विभाग को ठोस कदम उठाने होंगे। संजय सक्सेना, अध्यक्ष प्रगतिशील अधिवक्ता एसोसिएशन
पहले मनुष्य अब बाघों का मरना काफी ¨चताजनक है। वन विभाग को मनुष्य व बाघों के जीवन को सुरक्षित रखने के लिए जंगल किनारे तार फै¨सग करनी चाहिए। अवनीश शुक्ल, शिक्षक