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चिड़ियों के बारे में जानेंगे टाइगर रिजर्व के कर्मी

अभी तक पीलीभीत टाइगर रिजर्व की पहचान लुप्तप्राय बाघ से की जाती है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 06 Jan 2019 11:54 PM (IST)Updated: Sun, 06 Jan 2019 11:54 PM (IST)
चिड़ियों के बारे में जानेंगे टाइगर रिजर्व के कर्मी
चिड़ियों के बारे में जानेंगे टाइगर रिजर्व के कर्मी

जेएनएन, पीलीभीत : अभी तक पीलीभीत टाइगर रिजर्व की पहचान लुप्तप्राय बाघ से की जाती है, जिसके संरक्षण पर पर पूरी दुनिया जोर दे रही है। बाघ की वजह से हर साल हजारों की संख्या में टूरिस्ट जंगल सैर करने के लिए आते हैं। इसी जंगल में बाघ के साथ ही पक्षियों की काफी प्रजातियां पाई जाती है। इनका संरक्षण किया जा रहा है। पक्षियों के बारे में जानकारी करने के लिए टाइगर रिजर्व के कर्मचारियों को एक दिवसीय ट्रे¨नग दी जाएगी, जिसमें शंकाओं का समाधान किया जाएगा।

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पीलीभीत टाइगर रिजर्व के पांच रेंजों में फैले जंगल में लुप्तप्राय बाघ, तेंदुआ, हिरन, मोर, जंगली भालू, अजगर समेत कई प्रजातियों के वन्यजीव पाए जाते हैं। इन वन्यजीवों का संरक्षण किया जा रहा है। टाइगर रिजर्व के जंगल में वन्यजीवों के साथ ही करीब 350 प्रजातियों की चिड़ियां खुले आसमान में विचरण कर रही हैं। कई साल पहले बाघ गणना के दौरान बंगाल फ्लोरिकन चिड़िया पाई गई थी, जिस पर खास नजर रखी जा रही है। टाइगर रिजर्व के वन्यजीवों को बाघ के बारे में ही ट्रे¨नग दी जाती है। इस वजह से अन्य वन्यजीवों के बारे में जानकारी ही नहीं रखते हैं। अब टाइगर रिजर्व के वन कर्मचारियों को चिड़ियों के बारे में ट्रे¨नग दी जाएगी। यह बताया जाएगा कि जंगल के अंदर कौन सी चिड़िया पाई जाती है। उसकी खासियित के बारे में बताया जाएगा। फरवरी महीने के पहले सप्ताह में चिड़ियों की ट्रे¨नग मिलने की संभावना है। ऐसे में वन कर्मचारियों को चिड़ियों के बारे में जानकारी मिल सकेगी। इससे किसी भी चिड़िया को पहचानने में दिक्कत नहीं होगी। टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर डॉ.एच.राजामोहन ने बताया कि टाइगर रिजर्व के वन कर्मचारियों को चिड़ियों का प्रशिक्षण देने का फैसला लिया गया है। इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। प्रशिक्षण देने के लिए चिड़िया विशेषज्ञ को बुलाने की कोशिश की जा रही है। फैक्ट फाइल-----

टाइगर रिजर्व का एरिया : 71288 हेक्टेयर

टाइगर रिजर्व की रेंज : पांच

चिड़िया : बंगाल फ्लोरिकन, ग्रीन पिजन, स्वांप पट्रिज, जार्डन बुसचेक

पर्यटन स्थल : ईको पर्यटन केंद्र चूकाबीच, सप्तसरोवर, वाइफरकेशन।

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