वन विभाग की लापरवाही से हुई बाघ की हत्या
दुधवा टाइगर रिजर्व की किशनपुर सेंचुरी में पीटकर मारे गए बाघ की घटना को लेकर वन विभाग की लापरवाही उजागर हुई है।
पीलीभीत : दुधवा टाइगर रिजर्व की किशनपुर सेंचुरी में पीटकर मारे गए बाघ की घटना को लेकर वन विभाग के अधिकारियों में खलबली मची है। अगर जंगल क्षेत्र में सख्ती से गश्त की जाती, तो घटना रुक सकती थी।
किशनपुर सेंचुरी की मैलानी रेंज के जंगल में चल्तुआ गांव के काफी संख्या में ग्रामीणों ने बाघ को घेर लिया और पीटकर मार डाला। ग्रामीणों ने वन कर्मचारियों से ट्रैक्टर भी छीन लिया गया था। बाघ को मारे जाने की घटना चार नवंबर की शाम की बताई गई। इस मामले में छह लोगों के नाम समेत कई अज्ञात में रिपोर्ट दर्ज कराई जा चुकी है। अगर जंगल में सख्त ढंग से गश्त की जाती तो बाघ की मौत की घटना को रोका जा सकता था। ग्रामीण वन विभाग के कर्मचारियों पर भार पड़ गए। इसी की परिणति बाघ की मौत सामने आई है। बाघ मौत की घटना के बाद जंगल में गश्त तेज करने की जरूरत है, तभी वन्यजीवों को बचाया जा सकता है। किसी भी संदेश जताने वाले व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता है। सामाजिक वानिकी के प्रभागीय निदेशक संजीव कुमार का कहना है कि चलतुआ गांव सामाजिक वानिकी क्षेत्र में नहीं आता है। दुधवा टाइगर रिजर्व का कोर एरिया पड़ता है। लिहाजा दुधवा टाइगर रिजर्व ही कोई भी कार्रवाई कर सकता है।