माला रेंज के आसपास हो रहे बाघ के हमले
टाइगर रिजर्व के माला रेंज में मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं थम नहीं रही है। इस साल अब तक बाघ के हमले में छह लोगों की मौत हो चुकी है जबकि इस अवधि में एक बाघ भी मारा गया। माला रेंज के जंगल से बाघों के बाहर निकलने का सिलसिला जारी है।
जेएनएन, पीलीभीत : टाइगर रिजर्व के माला रेंज में मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं थम नहीं रही है। इस साल अब तक बाघ के हमले में छह लोगों की मौत हो चुकी है जबकि इस अवधि में एक बाघ भी मारा गया। माला रेंज के जंगल से बाघों के बाहर निकलने का सिलसिला जारी है।
माला रेंज के जंगल के निकट स्थित गांव बैजूनगर निवासी फूलचंद्र की बाघ के हमले में विगत पहली फरवरी को मौत हो गई थी। इसके चार दिन बाद ही पांच फरवरी को इसी इलाके के गांव विधिपुर निवासी रूपलाल पर बाघ ने हमला कर दिया था। गंभीर रूप से घायल रूपलाल की भी मौत हो गई थी। इसके बाद तीस मार्च को माला कॉलोनी निवासी कृष्णा राय बाघ के हमले में मारा गया। इसके पहले 21 मार्च को इसी कॉलोनी की निवासी रमैनी विश्वास पर बाघ ने उस समय हमला कर दिया, जब वह खेत पर फसल की रखवाली कर रही थी। इस महिला की भी मौत हो गई थी। विगत तीन अप्रैल को इसी इलाके में रिछोला निवासी नरेंद्र सिंह व उनके नौकर गांव ढेरम मंडलिया निवासी डोरीलाल बाघ के हमले में मौत का शिकार हुए। विगत पहली मई को गांव जरा के पास शिवनगर मार्ग पर बाघ ने लालपुर निवासी कढ़ेराम व रामबहादुर तथा ग्राम जरा निवासी उजागर सिंह पर हमला करके घायल कर दिया था। अब रविवार को फिर बाघ ने सगे भाइयों पर हमला करके घायल किया है। इसी अवधि में एक बाघ को ट्रैंकुलाइज करके कानपुर चिड़िया घर भेजा गया जबकि दूसरा बाघ ट्रैंकुलाइज किए जाने के कुछ देर बाद मर गया। इस तरह से माला रेंज में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं लगातार हो रही हैं।
जंगल किनारे स्थित गांवों में रहने वाले ग्रामीणों को इस बात के लिए लगातार जागरूक किया जा रहा है कि वे अकेले खेतों पर न जाएं। समूह में जाएं और शोर मचाएं। इन गांवों के लोगों को लगातार सतर्कता बरतने के लिए जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। रविवार को जिस समय बाघ हमले की घटना हुई, उस दौरान वहां के करीब दो किमी की दूरी पर वह स्वयं और रेंजर समेत पूरी टीम गश्त कर रही थी।
उमेश चंद्र राय, एसडीओ पीटीआर