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जिदगी बचने की नहीं थी उम्मीद, खौफनाक था मंजर

पीलीभीतजेएनएन पैसठ साल के जलालुद्दीन को उम्र के अंतिम पड़ाव पर ऐसे खौफनाक मंजर की तनिक उम्मीद भी नहीं थी उन्हें तो बार बार यही लग रहा था कि अब जिदगी बचना बेहद मुश्किल है। तीन दिन तक पेड़ पर अपने पांच अन्य साथियों के साथ बैठे रहे जबकि चारों तरफ पानी ही पानी। मौत के खौफ में वे भूख प्यास भी भूल गए। गुरुवार को जलस्तर कम होने पर वे पेड़ से नीचे उतरकर नाले के किनारे पहुंच गए। हेलीकाप्टर ने कई बार उनके ऊपर चक्कर भी लगाए यह देख हाथ उठाकर इशारा करके मदद की गुहार लगाई लेकिन हेलीकाप्टर में सवार लोग उन्हें नहीं देख पा रहे थे। मायूसी से घिरे इन लोगों की आंखों में चमक हजारा थाना पुलिस टीम को देखकर आ गई। फिर क्या..जान बच गई।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Oct 2021 12:14 AM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 12:14 AM (IST)
जिदगी बचने की नहीं थी उम्मीद, खौफनाक था मंजर
जिदगी बचने की नहीं थी उम्मीद, खौफनाक था मंजर

पीलीभीत,जेएनएन : पैसठ साल के जलालुद्दीन को उम्र के अंतिम पड़ाव पर ऐसे खौफनाक मंजर की तनिक उम्मीद भी नहीं थी, उन्हें तो बार बार यही लग रहा था कि अब जिदगी बचना बेहद मुश्किल है। तीन दिन तक पेड़ पर अपने पांच अन्य साथियों के साथ बैठे रहे, जबकि चारों तरफ पानी ही पानी। मौत के खौफ में वे भूख प्यास भी भूल गए। गुरुवार को जलस्तर कम होने पर वे पेड़ से नीचे उतरकर नाले के किनारे पहुंच गए। हेलीकाप्टर ने कई बार उनके ऊपर चक्कर भी लगाए यह देख हाथ उठाकर इशारा करके मदद की गुहार लगाई, लेकिन हेलीकाप्टर में सवार लोग उन्हें नहीं देख पा रहे थे। मायूसी से घिरे इन लोगों की आंखों में चमक हजारा थाना पुलिस टीम को देखकर आ गई। फिर क्या..जान बच गई।

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सोमवार की रात शारदा नदी में भीषण बाढ़ आने पर गांव नहरोसा निवासी जलालुद्दीन, मोहिद खान, मोईनउद्दीन, मोहम्मद हसन, रमजानी तथा अरशद फंस गए थे। किसी तरह ये लोग अपनी गौढ़ी (डेयरी) से लगभग दो किलोमीटर दूर पानी पार करते हुए पहुंच गए। वहां स्थित शीशम के पेड़ पर सभी लोग चढ़कर बैठ गए थे। जलालुद्दीन ने गुरुवार की रात जागरण संवाददाता को फोन पर बताया कि इन लोगों के पास चार मोबाइल फोन थे। जब तक मोबाइल फोन में बैटरी रही तब तक ग्राम प्रधान सहित अन्य लोगों को फोन कर बचाने की गुहार लगाते रहे। इस दौरान अरशद ने अपने मोबाइल से वीडियो बनाकर कई लोगों को भेज दी थी। लेकिन बुधवार को चारों मोबाइल फोन बैटरी डिस्चार्ज होने से बंद हो गए। जिसके बाद इन लोगों को बचने की कोई उम्मीद नहीं लग रही थी। जलालुद्दीन सबसे उम्रदराज होने के कारण हिम्मत नहीं हार रहे थे। बोले कि मौत के डर की वजह से भूख प्यास का ख्याल भी नहीं आ रहा था। मंगलवार को पेड़ पर चढ़ने के बाद ज्यादा परेशानी नहीं हुई थी, लेकिन बुधवार की सुबह से ही चारों तरफ पानी का मंजर देख कलेजा कांपने लगा था। कहीं भी बचने की कोई किरण नजर नहीं आ रही थी। यही लग रहा था कि मौत के बाद भी परिवार वालों को उनका कुछ पता नहीं चल सकेगा।

अरशद परेशान होकर फफक पड़ा था

जलालुद्दीन बताते हैं कि अरशद सबसे छोटा है। जिस कारण भूख प्यास भी सता रही थी। अरशद कई बार परेशान होकर रोने लगता था. यह देख वह उसे बार बार हिम्मत से काम लेने की बात कहकर दिलासा देते रहे। लगातार बतियाते रहते थे

पेड़ पर बैठे रहने के कारण नींद की झपकी भी परेशान कर रही थी, यह देख वह सभी साथियों से लगातार बतियाते रहते थे। ताकि किसी को नींद न आए। देवदूत से कम नहीं हजारा इंस्पेक्टर

जलालुद्दीन के मुताबिक हेलीकाप्टर भी कई चक्कर लगा कर चला गया था। लेकिन हजारा थाना प्रभारी निरीक्षक हरीशवर्धन सिंह जब अपनी टीम के साथ गुरुवार को शाम चार बजे उनके पास पहुंचे तो सभी की आंखों में जिदगी बचने की खुशी के आंसू छलक आए थे। पुलिस टीम ने उन्हें नाश्ता कराया और पानी की बोतल दी। वह कहते हैं कि पुलिस टीम के प्रयासों से ही उनकी जान बच सकी है। पिता को देखकर बेटों की आंखों में खुशी के आंसू

जलालुद्दीन के परिवार में तीन पुत्र जरीफुद्दीन, रेहान रजा तथा मोहम्मद सुफियान, तीन बेटियां साबिया बेगम, राखिया बेगम एवं आरिया बेगम तथा पत्नी जाहिदा हैं। गुरुवार की शाम उनके सकुशल लौटने की सूचना पाकर उनके दो पुत्र जरीफुद्दीन तथा मोहम्मद सुफियान कुछ अन्य ग्रामीणों के साथ हजारा थाना पहुंचे। पिता को देखते ही दोनों बेटे उनके सीने से लगकर खुशी के मारे रोने लगे।


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