गांवों में साकार होगा ग्राम स्वराज का सपना
पीलीभीतजेएनएन ग्राम स्वराज का सपना अब जल्द ही पूरा होगा। गांवों में पंचायत घर मिनी सचिवालय के तौर पर काम करेंगे। इनमें नियुक्त पंचायत मित्र कंप्यूटर आपरेटर का दायित्व निभाते हुए विभिन्न तरह की योजनाओं की प्रगति का ब्योरा आनलाइन फीड करने के साथ ही लाभार्थी परक योजनाओं के आनलाइन आवेदन भी ग्रामीणों के जमा करेंगे।
पीलीभीत,जेएनएन : ग्राम स्वराज का सपना अब जल्द ही पूरा होगा। गांवों में पंचायत घर मिनी सचिवालय के तौर पर काम करेंगे। इनमें नियुक्त पंचायत मित्र कंप्यूटर आपरेटर का दायित्व निभाते हुए विभिन्न तरह की योजनाओं की प्रगति का ब्योरा आनलाइन फीड करने के साथ ही लाभार्थी परक योजनाओं के आनलाइन आवेदन भी ग्रामीणों के जमा करेंगे।
जिले में सभी सातों विकास खंडों के अंतर्गत कुल 720 ग्राम पंचायतें हैं। जिले की 375 ग्राम पंचायतों में पंचायतघर पहले से ही बने हुए हैं। इनके अलावा 243 गांवों में नए पंचायतघर बन रहे हैं। निर्माण इसी माह के अंत तक पूरा हो जाना है। नए साल में सभी ग्राम पंचायतों का कामकाज इन पंचायत घरों से ही संचालित होने लगेगा। पंचायत घरों को मिनी सचिवालय का नाम दिया गया है। गांवों में पंचायत घरों को व्यवस्थित किया जा रहा है। उनमें पंचायत मित्र नियुक्त किए जा रहे हैं। सचिव, आशा, रोजगार सेवक, आंगनबाड़ी, एएनएम, लेखपाल जब भी गांव में पहुंचेंगे, वे पंचायत घर में ही बैठकर अपना कामकाज निपटाएंगे, इससे ग्रामीणों के लिए अच्छी सुविधा हो जाएगी। उन्हें लेखपाल और पंचायत सचिव को ढूंढने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। ग्राम पंचायत से संबंधित सारे दस्तावेज और शासन की लाभार्थीपरक योजनाओं का ब्योरा भी वहां उपलब्ध रहेगा। वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, राशनकार्ड, दिव्यांग पेंशन, प्रधानमंत्री आवास योजना से संबंधित आवेदनों के साथ ही शिकायतों को भी दर्ज कराने की सुविधा प्रदान की जाएगी। ग्राम पंचायतों की बैठकें वहीं होंगी। ग्राम पंचायत से संबंधित सभी अभिलेख पंचायत घर में उपलब्ध रहेंगे। विकास विभाग और राजस्व विभाग से संबंधित कार्यों के लिए ग्रामीणों ब्लाक कार्यालय और तहसील के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। इससे ग्रामीणों को पैसा और समय दोनों की बचत होगी। नए बनने वाले पंचायत घरों में सभागार का भी निर्माण कराया जा रहा है। अभी तक पंचायतों की पहचान सरकारी स्कूल से होती रही है। पंचायतघर जब मिनी सचिवालय के तौर पर काम करने लगेंगे तो सभी तरह की बैठकें सभागार में होंगी। मिनी सचिवालय संचालित हो जाने से ग्रामीणों को अपने कार्यों के लिए ब्लाक, तहसील व जिला मुख्यालय के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
-प्रशांत श्रीवास्तव, मुख्य विकास अधिकारी