टाइगर रिजर्व बनने के बाद हुई दस बाघों की मौत
टाइगर रिजर्व में विभिन्न कारणों से लुप्तप्राय बाघों के शव मिल चुके हैं, इसके बावजू
पीलीभीत : टाइगर रिजर्व में विभिन्न कारणों से लुप्तप्राय बाघों के शव मिल चुके हैं, इसके बावजूद बाघों की बेहतर सुरक्षा की दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले पूरनपुर रोड पर गजरौला के पास तेंदुआ का शव बरामद किया गया था। इस घटना के बाद कोई सकारात्मक उपाय नहीं किए गए।
पीलीभीत का जंगल काफी पुराना है, लेकिन पीलीभीत टाइगर रिजर्व चार साल पहले घोषित किया गया था। टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद बाघों की विभिन्न कारणों से मौत हो चुकी है। हर मौत के बाद बेहतर कां¨बग और सुरक्षा के इंतजाम किए जाने के दावे किए जाते रहे हैं। घटना होने के बाद धीरे-धीरे सुरक्षा रोजाना की तरह होने लगती है। इसी वजह से बाघों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है। टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद बाघ के मरने की पहली घटना महोफ रेंज में 16 अगस्त 2014 को हुई थी। 21 जनवरी 2015 को बराही में टाइगर की 17 किलो मीट और हड्डी बरामद की गई थी। 23 अप्रैल 2015 को पूरनपुर क्षेत्र की हरदोई ब्रांच से बाघ का शव बरामद हुआ। पांच जनवरी 2016 को आठ किलो हड्डी, सात मई 2017 को माला रेंज में बाघ ने दो शावकों को मारा था। 29 मार्च 2018 को शारदा सागर डाम में बाघ का शव बरामद किया गया था। 11 अप्रैल 2018 को बाघ का शव मिला था। 19 अप्रैल 2018 को महोफ रेंज के कंपार्टमेंट 112 से शव मिला। इसी तरह 20 मई 2018 को खारजा नहर पटरी के पास बाघ का कंकाल बरामद किया गया। अभी अक्टूबर माह के तीसरे पखवारे में पीलीभीत-पूरनपुर रोड पर गजरौला गुरुद्वारा के पास हाइवे किनारे एक तेंदुआ का शव बरामद किया गया। इस तरह विभिन्न कारणों से बाघों की मौत होना पाया गया। ऐसे में बाघ संरक्षण की दिशा में ठोस पहल करनी पड़ेगी। पीलीभीत टाइगर रिजर्व के उप निदेशक आदर्श कुमार ने बताया कि बाघ संरक्षण की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। जंगल क्षेत्र में दिन-रात की गश्त की जा रही है। ई-सर्विलांस कैमरों से जंगल पर नजर रखी जा रही है। जंगल के प्रमुख मार्गों पर वन कर्मचारियों की ड्यूटी रहती है। किसी बाहर व्यक्ति के प्रवेश पर पूरी तरह से पाबंदी है।
बाघ प्रकरण में दर्ज होगी रिपोर्ट
बाघ के मारे जाने की घटना रविवार शाम की है। घटना की सूचना मिलते ही दुधवा टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर महावीर कौजलगि को घटनास्थल के लिए रवाना कर दिया गया है। जंगल के कोर एरिया में बाघ था। ग्रामीण कोर एरिया में घायल हुआ है। इस बाघ को कां¨बग कर पंद्रह दिन पहले जंगल के अंदर किया जा चुका था। अगर बाघ कोर एरिया में नहीं रहेगा, तो वह कहां रहेगा। बाघ को मारे जाने की घटना बहुत ही ¨नदनीय है। इस मामले में विधिक कार्रवाई करते हुए एफआइआर दर्ज कराई जाएगी।
-रमेश कुमार पांडेय, फील्ड डायरेक्टर दुधवा नेशनल पार्क लखीमपुर खीरी।