पराली मत जलाओ, किसानों को जागरूक करेंगे विद्यार्थी
पराली यानी उपज की कटान के बाद खेत में बचे रह जाने वाले अवशेष।
पीलीभीत : पराली यानी उपज की कटान के बाद खेत में बचे रह जाने वाले अवशेष। अनाज घर पहुंचते ही किसान अक्सर खेत साफ करने के लिए पराली को आग के हवाले कर देते हैं। नतीजा वातावरण में प्रदूषण तो फैलता ही है, मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी क्षीण होती है। किसानों को इसके दुष्परिणाम बताने के लिए इस बार प्रशासन ने विद्यार्थियों को संदेशवाहक बनाने का प्रयोग शुरू किया है। यानी अन्नदाता को विद्यार्थी जागरूक करेंगे।
कक्षा नौ से 12 के विद्यार्थी बनेंगे दूत
यह प्रक्रिया एक अक्टूबर से शुरू होगी। प्रशासन ने बेहतर पर्यावरण के लिए कक्षा नौ से 12 के विद्यार्थियों को दूत बनाने का फैसला किया है। कृषि विभाग विद्यालयों में 'न जलाएं फसल अवशेष' विषय पर पेंटिंग प्रतियोगिता कराएगा। तहसील स्तर से चयनित बच्चों को गांधी जयंती पर पुरस्कृत किया जाएगा। यहां से प्रदेश स्तर पर भेजा जाएगा। प्रदेश की श्रेष्ठ पेंटिंग को कुंभ मेले में मुख्यमंत्री सम्मानित करेंगे।
खेत में दिखाएंगे पेंटिंग के संदेश
कृषि विभाग इन बच्चों की बनाई श्रेष्ठ संदेश वाली पेंटिंग किसानों के बीच लेकर जाएगा। कोशिश होगी, वे आसानी से इसके घातक परिणाम समझ सकें।
जलाएं नहीं, सड़ाकर बनाएं ग्रीन कंपोस्ट
इसके साथ ही कृषि विभाग के वैज्ञानिक किसानों को बताएंगे कि बिना जलाए यह पराली न केवल नष्ट की जा सकती है, बल्कि खेत के लिए उपयोगी होगी। पराली को खेत में सड़ाकर हरी खाद बनाने की विधि भी बताई जाएगी।
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किसानों को पराली नहीं जलाने के प्रति जागरूक करने के लिए विद्यार्थियों का सहयोग लेने की योजना बनाई है। उम्मीद है, अच्छे परिणाम निकलेंगे।
डॉ. अखिलेश मिश्र, डीएम