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ताकत वतन की हमसे है... तालिब में तिरंगे को ऊंचाइयों पर ले जाने का जुनून

तालिब ऐसा तीन ऊंची पहाड़ियों पर जाकर कर चुके हैं। अब दक्षिण अफ्रीका स्थित दुनिया की चौथी सबसे ऊंची उभरी चोटी किलिमंजारो पर तिरंगा फहराने की तैयारी में जुटे हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 09 Aug 2019 10:40 AM (IST)Updated: Fri, 09 Aug 2019 10:41 AM (IST)
ताकत वतन की हमसे है... तालिब में तिरंगे को ऊंचाइयों पर ले जाने का जुनून
ताकत वतन की हमसे है... तालिब में तिरंगे को ऊंचाइयों पर ले जाने का जुनून

मनोज मिश्र, पीलीभीत। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत स्थित छोटे से गांव निसावां निसैया के तालिब। तिरंगे को ऊंचाइयों पर देखने, ले जाने का ऐसा जुनून कि उन्होंने 16 हजार फीट तक की ऊंचाई पार कर ली। कभी आर्थिक बाधाएं आईं तो कभी पारिवारिक। मगर उनके मन में बचपन से जो जुनून भरा था, उसे पूरा करने के लिए वह न कभी रुके, न थके। किसी रिकॉर्ड की चाह नहीं, बस चाह है तो ऊंचाई पर तिरंगा फहराए और वह खुद सामने खड़े होकर सल्यूट करें।

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तालिब ऐसा तीन ऊंची पहाड़ियों पर जाकर कर चुके हैं। अब दक्षिण अफ्रीका स्थित दुनिया की चौथी सबसे ऊंची उभरी चोटी किलिमंजारो पर तिरंगा फहराने की तैयारी में जुटे हैं। अमरिया तहसील के गांव निसावां निसैया में खेती करने वाले उनके पिता मुहम्मद ताहिर पुराने दिनों को याद करते हुए कहते हैं, तालिब कक्षा छह में था तभी से 15 अगस्त व 26 जनवरी के कार्यक्रमों के बाद तिरंगा घर ले आता था। संभालकर रखता। जैसे-जैसे वह खुद बड़ा हुआ, तिरंगे को लेकर जुनून बढ़ता गया। 2016 में तालिब ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी (एएमयू) में एडमिशन लिया। उसी साल दोस्तों के साथ मसूरी घूमने गये थे। कहते हैं, वहां ऊंचे पहाड़ देखकर मन में आया कि चोटी पर तिरंगा फहराऊं। मन में यह इच्छा लिए वह वापस लौट आया। विवि में माउंटेनिंग क्लब के बारे में पता चला तो च्वाइन कर लिया। वहां का कैंप कुछ दिन बाद देहरादून पहुंचा और सभी सदस्यों को पहाड़ पर चढ़ने का प्रशिक्षण दिया गया।

अब तालिब को अपना सपना साकार होता दिख रहा था। परिवार व दोस्तों की मदद से कुछ रुपये इकट्ठे किए। उसी साल अक्टूबर में पहली बार देहरादून और मसूरी के बीच स्थित सहस्त्रधारा पर्वत पर आठ हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंचकर तिरंगा फहराने निकल पड़े। इस सफलता ने उनमें जोश भर दिया। पिछले साल अक्टूबर में हिमाचल प्रदेश के मनाली पहुंचे तो वहां बर्फ से ढका क्षेत्रिधारा पहाड़ देखकर वहां तिरंगा फहराने की ठान ली। इस बार 15 हजार फीट की ऊंचाई वाले पर्वत पर चढ़कर तिरंगा फहराया। इसके बाद जम्मू-कश्मीर गए तो वहां माउंट मचोई पर्वत पर 16 हजार फीट की ऊंचाई पर राष्ट्रध्वज फहराया। तालिब कहते हैं कि जल्द ही विश्व की चौथी सबसे उभरी पर्वत चोटी दक्षिण अफ्रीका की किलिमंजारो (19,341 फीट ऊंची) पर तिरंगा लेकर जाऊंगा। इसमें करीब साढ़े तीन लाख रुपये का खर्च आएगा, इसके लिए वह पैसे जुटाने में लगे हुए हैं।

अब्बू-अम्मा को गर्व

मां माबिया बेगम व पिता मुहम्मद ताहिर कहते हैं कि इकलौता बेटा ऊंचे पहाड़ों पर चढ़ता है तो डर भी लगता है। लेकिन कलेजे को सुकून है कि वह अपने तिरंगे की शान में नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहा। तालिब ने दसवीं तक की पढ़ाई अमरिया के नीलगिरी स्कूल से की है। इसके बाद उत्तराखंड के सितारगंज से इंटर किया। फिलहाल, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से बीए अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे हैं।

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