सोशल मीडिया का जिम्मेदारी से उपयोग
देश में सोशल साइट्स का प्रयोग बेहद संजीदा तरीके से करना चाहिए।
भारत एक लोकतांत्रिक देश है। लोकतंत्र के चार प्रमुख स्तंभ होते हैं-विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और प्रेस। यह चारों स्तंभ अपने-अपने दायित्वों का निवर्हन ईमानदारी एवं जिम्मेदारी से करें तो वास्तविक लोकतंत्र स्थापित हो सकेगा। किसी भी लोकतांत्रिक देश में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मीडिया के माध्यम से ही सरकार के सभी कार्यों को जनता तक पहुंचाया जाता है और जनता की समस्याओं से सरकार को अवगत कराया जाता है। वर्तमान समय में सोशल मीडिया का बर्चस्व बढ़ता जा रहा है। सोशल मीडिया एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा समस्त योजनाओं एवं एक-दूसरे के विचारों को आसानी से जन जन तक कुछ ही मिनटों में पहुंचाया जा सकता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि देश के सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, शैक्षिक एवं सभी प्रकार के विकास में सोशल मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। आज के बढ़ते हुए सोशल मीडिया के प्रभाव के साथ साथ इसका उपयोग नहीं बढ़ता जा रहा है। समाज में कुछ असामाजिक तत्व सोशल मीडिया का दुरुपयोग करके अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति करते हैं। किसी भी सम्मानित व्यक्ति को सोशल मीडिया के दुरुपयोग से बदनाम किया जा सकता है। इसलिए बढ़ते हुए सोशल मीडिया का उपयोग देश व समाज के हित में होना बहुत ही आवश्यक है। इसके दुरुपयोग पर कड़ाई से नियंत्रण करना चाहिए। सोशल मीडिया का दुरुपयोग करने वाले व्यक्ति पर कड़ी कार्यवाही की जाए, जिससे सोशल मीडिया का दुरुपयोग नहीं हो सकेगा। यदि सोशल मीडिया अपने उत्तरदायित्व का जिम्मेदारी के साथ निवर्हन करें। समाज की अच्छाइयों को सामने लाएं तथा अश्लील, निराधार एवं मिथ्यापूर्ण सूचनाओं के प्रचार प्रसार पर रोक लगाएं तो वास्तव में सोशल मीडिया समाज के लिए वरदान साबित हो सकता है। आज की बढ़ती हुई संचार क्रांति से जन-जन सोशल मीडिया से जुड़ गया है। ऐसे में सोशल मीडिया की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है कि वह समाज व देश को अच्छी राह पर ले गए। सोशल मीडिया किसी को भी इतना हाईलाइट कर सकती है कि उसका वर्चस्व समाज में स्थापित हो सकता है तथा किसी को समाज की नजरों में गिरा सकता है। अत: सोशल मीडिया की यह जिम्मेदारी है कि वह अपने कर्तव्य एवं दायित्वों को ईमानदारी से निवर्हन करें, जिससे कि सोशल मीडिया पर लोगों का विश्वास कायम रह सकेगा। वर्तमान समय में सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी आवाज को उठाया जा सकता है। कुछ सालों से सोशल मीडिया का ज्यादा ही उपयोग हो रहा है। हम सभी लोगों को सोशल मीडिया का बहुत ही सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करना चाहिए। हम सकारात्मक विचारों को ही सोशल मीडिया पर शेयर करें। ताकि किसी को कोई दु:ख न पहुंचे। सोशल मीडिया का बहुत ही संभल कर प्रयोग करें। किसी की भावनाएं आहत करने वाले मैसेज कदापि न पोस्ट करें। सिर्फ समाज की भलाई की दिशा में काम करने के विचार रखने चाहिए। आजकल गलत मैसेज डालकर लोगों को आरोपित करने का काम किया जा रहा है, जो किसी भी दशा में नहीं होना चाहिए। इस दिशा में समाज के प्रत्येक व्यक्ति को सजग रहना होगा। ऐसा करने से सोशल मीडिया का अच्छे रूप में प्रयोग हो सकेगा। आज सोशल मीडिया के माध्यम से विचार व्यक्त करने का अच्छा प्लेटफार्म मिला है, जहां पर अपने भाव और विचार रख सकते हैं। किसी पर भी नकारात्मक टिप्पणी करने से बचना चाहिए।
-ओम प्रकाश वर्मा, प्रधानाचार्य
(राज्य पुरस्कार प्राप्त)
सनातन धर्म बांके बिहारी राम इंटर कालेज, पीलीभीत। ----------------- फोटो 16 पीआइएलपी 3
सोशल मीडिया ने दुनिया को अप्रत्याशित रूप से बहुत प्रभावित किया है। एक बटन के स्पर्श के साथ और एक ठोस कनेक्शन से हम अपने विचारों को दुनिया में बाहर भेज सकते हैं। हम दस साल पहले नहीं कर सकते थे। सोशल मीडिया वह जगह है कि जहां हमें किसी भी चीज के बारे में जानने, पढ़ने, समझने और बोलने का मौका मिलता है।
सोशल मीडिया उन बड़े तत्वों में से एक है, जिसके साथ हम जुड़े हुए हैं। जिसे हम अनदेखा नहीं कर सकते है। आज सोशल मीडिया ब्लॉ¨गग और चित्रों को साझा करने तक सीमित नहीं है। बल्कि ये हमें बहुत मजबूत उपकरण प्रदान करता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सोशल मीडिया का प्रभाव बहुत अधिक और दूर तक पहुंच रहा है। यह किसी की छवि को बना या बिगाड़ भी सकता है। अत: इसका जिम्मेदारी के साथ उपयोग अत्यन्त अनिवार्य है। सोशल मीडिया एक ऐसी दुनिया है जहां सही-गलत, उचित-अनुचित, अच्छी-बुरी तर्कसंगत- अतर्कसंगत, मानवीय-अमानवीय, सामाजिक-असामाजिक, लौकिक-परलौकिक आदि हर तरह की विषय वस्तु को हम साझा कर रहे हैं। अत: हम सभी सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए कि हमारी कोई भी लिखी या पोस्ट की गई विषयवस्तु किसी को भी व्यक्तिगत या सामाजिक रूप से प्रभावित न करें। जिस तरह से अपने विचारों को व्यक्त करने की स्वतंत्रता हमारा मौलिक अधिकार है। उसी तरह समाज के हर एक व्यक्ति के व्यक्तित्व को धूमिल न करना भी हमारा मौलिक कर्तव्य है।
आज हम भारतीय परिवेश में ऐसी बहुत सारी घटनाएं सुनते व पढ़ते रहते हैं जो हमारी युवा पीढ़ी के सामाजिक हृास को दर्शाता है और कहीं न कहीं ये सब सोशल मीडिया से प्राप्त जानकारी से प्रेरित होता है। सर्वप्रथम अभिभावकों को बच्चों को व्यक्तिगत रूप से सही तरह से अनिवार्यता होने पर व अपने दिशा-निर्देशन में इसका उपयोग करने की अनुमति प्रदान करनी चाहिए, जिससे किसी भी अनुचित विषयवस्तु को वह इसके दुष्प्रभाव के साथ बालक को समझा सकें।
हम देखते हैं कि जब एक व्यक्ति कठिन परिश्रम व कठिनाइयों के बाद सामाजिक रूप से सक्षम व एक सामाजिक प्रेरणा बनता है, तब कुछ असामाजिक मानसिकता के लोग सिर्फ अपना मनोरंजन करने के लिए उसके व्यक्तित्व पर प्रश्न चिह्न लगाने वाले पोस्ट डालते है, जो व्यक्ति के पूर्ण जीवन को संदेह में ला देता है। बाद में निष्कर्ष चाहे व्यक्ति के पक्ष में होने पर भी समाज उसे एक अपराधी के रूप में ही देखता है। आज हमारे परिवेश में एक ऐसा वातावरण विकसित होता जा रहा है, जहां उन अपराधों का आधार सोशल मीडिया द्वारा प्रेरित हो रहा है। इसलिए यह अत्यन्त महत्वपूर्ण है कि हम जब भी अपने व्यक्तिगत विचारों को व्यक्त करें सावधानी पूर्वक करें, जो किसी भी तरह से किसी का चरित्र हनन न करें। आज के समाज में जहां सोशल मीडिया का समझदारी से किया गया उपयोग व्यक्तियों, परिवारों, सभ्यताओं, राष्ट्रों को एक-दूसरे के प्रति संवेदनशील बनाकर नजदीक लाने जैसा महत्वपूर्ण काम कर रहा है तो दूसरी तरह कुछ लोगों की नासमझी की वजह से रिश्तों, परिवारों, समाज, राष्ट्र में अस्थिरता भी उत्पन्न की जा रही है। इसलिए आज हम सभी जो न सिर्फ विचारों, तथ्यों या घटनाओं को सोशल मीडिया के द्वारा लोगों तक पहुँचाते हैं। बल्कि उनके साथ-साथ उसे देखने सुनने वाले लोगों की भी जिम्मेदारी बनती है कि किसी भी घटना का स्थिति का, चित्र का, तथ्य का बिना आंकलन व सत्यता प्रमाणित किए आंख मूँद कर विश्वास न करें। उसका आधार समझे हो सकता है कि यह सिर्फ किसी की शरारत हो समाज में गतिरोध उत्पन्न करने कीए किसी का चरित्र हनन करने की किसी के व्यक्तित्व को धूमिल करने की या व्यक्ति, समाज की भावनाओं को ठेस पहुँचाने की। हम कह सकते हैं कि सोशल मीडिया आज हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुका है लेकिन हमारी समझदारी जहां हमारे व्यक्तिगत व सामाजिक जीवन को उज्जवल बनाकर आगे बढ़ाने में सहयोग कर सकती है। वहीं व्यक्ति की भूल, नादानी या द्वेष की भावना से व्यक्त किए गए विचार जीवन या समाज की छवि धूमिल करने में अपनी भूमिका निर्वाह कर सकते हैं। अब यह हमें तय करना है कि हम इसका प्रयोग कब, कैसे व किस रूप से करके उससे सकारात्मक या नकारात्मक परिणाम प्राप्त करें।
-रोजी दीक्षित, प्रधानाचार्य
लॉर्ड कृष्णा स्कूल, पीलीभीत।
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