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जब श्रीराममय हो गया था पीलीभीत

बीसवीं सदी के दसवें दशक की शुरुआत से ही तराई के जिले में राममंदिर आंदोलन काफी गति पकड़ चुका था। उस दौर में राममंदिर आंदोलन में आए उफान की बात हो और शहर विधायक रहे बीके गुप्ता (बाल किशन गुप्ता) का जिक्र न आए यह भला कैसे हो सकता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 11:10 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 06:10 AM (IST)
जब श्रीराममय हो गया था पीलीभीत
जब श्रीराममय हो गया था पीलीभीत

पीलीभीत,जेएनएन : बीसवीं सदी के दसवें दशक की शुरुआत से ही तराई के जिले में राममंदिर आंदोलन काफी गति पकड़ चुका था। उस दौर में राममंदिर आंदोलन में आए उफान की बात हो और शहर विधायक रहे बीके गुप्ता (बाल किशन गुप्ता) का जिक्र न आए यह भला कैसे हो सकता है। धुन के पक्के बीके की उन दिनों की गतिविधि पर मशहूर शायर मजरूह सुल्तानपुरी का यह शेर मौजू है- मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर, लोग साथ आते गए, कारवां बनता गया। राममंदिर आंदोलन ने ही बीके को विधानसभा में पहुंचा दिया था।

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पूर्व विधायक स्वर्गीय बीके गुप्ता के बेटे अंकुर गुप्ता उस दौर को याद करते हुए कहते हैं कि पिता राममंदिर आंदोलन के प्रति पूरी तरह समर्पित रहा करते थे। प्रात: उठ जाते और राम भक्तों के साथ प्रभातफेरी निकालते। शुरुआत में संख्या कम रही लेकिन फिर देखते ही देखते माहौल ऐसा बना कि प्रभातफेरी में भारी संख्या में लोग उमड़ने लगे। रामचरित मानस की चौपाइयां का समवेत स्वरों से पूरा माहौल को श्रीराममय हो जाता था। उस दौर में ज्यादातर घरों से बाहर न निकलने वाली महिलाएं भी बड़ी तादात में प्रभातफेरी में शामिल होने लगी थीं। विश्व हिदू परिषद, बजरंग दल और भारतीय जनता पार्टी के बड़े पदाधिकारियों के दौरे हो रहे थे। अयोध्या में प्रभु श्रीराम के जन्मस्थान पर मंदिर बनाने के संकल्प सभाओं में लिए जाते थे। कार सेवकों की संख्या भी दिनोंदिन बढ़ रही थी। बीके गुप्ता की अगुवाई में निकलने वाली प्रभातफेरी का दायरा बढ़ता जा रहा था। रामभक्तों की ऐसी भीड़ पहले कभी नहीं दिखी थी। अंकुर कहते हैं कि आज पापा इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन अयोध्या में रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का सपना पूरा हो रहा है।

प्रभातफेरी के समापन की व्यवस्था संभालते थे देशराज पटेल

राम मंदिर आंदोलन के दौरान निकलने वाली प्रभातफेरी में हजारों लोग शामिल होते थे। प्रभातफेरी का समापन स्टेशन रोड स्थित डोरीलाल के फाटक में हुआ करता था। प्रभातफेरी के समापन पर उसमें शामिल लोगों के जलपान की व्यवस्था भाजपा के तत्कालीन नगर अध्यक्ष देशराज पटेल संभालते थे। उस दौर को याद करते हुए देशराज पटेल के अनुज पूर्व जिला पंचायत सदस्य मनोज पटेल बताते हैं कि राम मंदिर के प्रति आम लोगों की आस्था का सैलाब देखते ही बनता था। बीके गुप्ता के साथ ही बाबू वीर सिंह, वेदप्रकाश शुक्ल, महेश गुप्ता, ब्रजस्वरूप मिश्र, सुरेश कौशल, मनमोहन सिंह जैसे उस समय के दिग्गज लोग प्रभातफेरी का नेतृत्व किया करते थे। सभासद पुष्पा उपाध्याय, रानी शुक्ला, सुषमा त्रिवेदी, नीरजा सक्सेना, गायत्री जौहरी जैसी जुझारू कार्यकर्ता घर-घर जाकर आम महिलाओं को आंदोलन से जोड़ने का काम करती थीं। पूर्व सभासद गिरीश मिश्र, प्रेम सिंह मिलिट्री, कन्हई लाल, अशोक सिंह, श्रीप्रताप, अश्वनी जैसे लोग आंदोलन को धार देने में जुटे रहते थे। शहर में जगह-जगह लोग प्रभातफेरी का स्वागत करने के लिए घरों से निकलते और फिर उसी में शामिल हो जाते। मंदिर आंदोलन के समापन के उपरांत जब बजरंग दल के संयोजक विनय कटियार आए तो देशराज पटेल ने उन्हें चांदी का मुकुट पहनाकर सम्मानित किया था।


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