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शिक्षकों की कमी से छात्रों का भविष्य चौपट

जागरण संवाददाता पीलीभीत राजकीय कॉलेजों और स्कूलों में शिक्षा का स्तर दिनों दिन गिरता जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 02 Aug 2019 05:09 PM (IST)Updated: Fri, 02 Aug 2019 05:09 PM (IST)
शिक्षकों की कमी से छात्रों का भविष्य चौपट
शिक्षकों की कमी से छात्रों का भविष्य चौपट

जागरण संवाददाता, पीलीभीत: राजकीय कॉलेजों और स्कूलों में शिक्षा का स्तर दिनों दिन गिरता जा रहा है। शिक्षकों की कमी के चलते छात्रों की शिक्षा पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। सरकार शिक्षकों के खाली पदों को भरने की घोषणा तो कर रही है, लेकिन विद्यालयों में शिक्षा के स्तर को मजबूत करने की दिशा में अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। जनपद के इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्यों की भारी कमी बनी हुई है। स्थिति यह है कि राजकीय इंटर कॉलेजों में एक भी प्रधानाचार्य की नियुक्ति नहीं की गई है। साथ ही प्रवक्ता और सहायक अध्यापकों के पद भी लंबे समय से रिक्त पड़े हैं।

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प्रधानाचार्याें और शिक्षकों की भारी कमी के चलते छात्रों के भविष्य पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। जिले के राजकीय विद्यालयों में पर्याप्त शिक्षकों के न होने के कारण छात्रों को प्राइवेट तौर पर ट्यूशन लेना पड़ रहा है। शिक्षकों की कमी के कारण राजकीय विद्यालयों के प्रति अभिभावकों का विश्वास भी कम होता जा रहा है। विद्यालयों में विषयवार शिक्षा देने के लिए प्रवक्ता और सहायक अध्यापक ही नहीं हैं। इस कारण छात्रों को परीक्षाओं की तैयारी करने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

अभिभावकों पर अतिरिक्त खर्च का बोझ

बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की नियत से राजकीय विद्यालयों में अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला दिलाते हैं, लेकिन विद्यालयों में गणित, विज्ञान, अंग्रेजी और संस्कृत आदि विषयों को पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नही है। ऐसी स्थिति में छात्रों को अपने भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए अतिरिक्त खर्चे पर ट्यूशन की व्यवस्था करनी पड़ती है। जिले में शिक्षकों और प्रधानाचार्याें की स्थिति

जिले में कुल 28 राजकीय इंटर कॉलेज और हाईस्कूल हैं। पांच राजकीय बालिका इंटर कॉलेजों और नौ राजकीय बालक इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्य का पद लंबे समय से खाली है। नगर क्षेत्र कॉलेजों में भी कमी कॉफी समय से बनी हुई है। कॉलेजों में प्रवक्ता के लिए 136 पद स्वीकृत हैं, लेकिन मात्र 14 शिक्षक ही कार्यरत है। सहायक अध्यापकों की स्थिति यह है कि 260 में से मात्र 51 सहायक अध्यापक ही कॉलेजों में कार्यरत हैं। कुल मिला कर अभी तक प्रधानाचार्याें के 18 पद रिक्त हैं। जबकि 122 प्रवक्ताओं के पद खाली हैं। सहायक अध्यापक पद पर कुल 209 पदों की आवश्यकता है।

सभी कॉलेजों में शिक्षकों और प्रधानाचार्याें की कमी की स्थिति से कई बार शासन स्तर पर अधिकारियों को अवगत कराया गया है,लेकिन अभी तक समस्या का निदान नहीं हो सका है।

-संत प्रकाश, जिला विद्यालय निरीक्षक

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