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बिना संसाधन कैसे करेंगे तीसरी लहर का सामना

कोरोना की पहली लहर में व्यवस्थाएं सही चल गईं तो महकमा पीठ थपथपाने लगा। दूसरी लहर ने कुछ ही दिनों में विकराल रूप धारण किया और सारी व्यवस्थाएं चरमरा गईं। वर्तमान में दूसरी लहर अपने चरम की ओर है लेकिन व्यवस्थाओं में खास सुधार देखने को नहीं मिले हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक अब खतरा तीसरी लहर का मंडराने लगा है जिसके दूसरी लहर से ज्यादा तेज होने के आसार हैं। संक्रमण का असर बच्चों में फैलने की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में दूसरी लहर से सबक लेकर संसाधनों की मजबूती पर ध्यान दिया जाना जरूरी है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 May 2021 11:19 PM (IST)Updated: Sat, 08 May 2021 11:19 PM (IST)
बिना संसाधन कैसे करेंगे तीसरी लहर का सामना
बिना संसाधन कैसे करेंगे तीसरी लहर का सामना

पीलीभीत,जेएनएन: कोरोना की पहली लहर में व्यवस्थाएं सही चल गईं तो महकमा पीठ थपथपाने लगा। दूसरी लहर ने कुछ ही दिनों में विकराल रूप धारण किया और सारी व्यवस्थाएं चरमरा गईं। वर्तमान में दूसरी लहर अपने चरम की ओर है लेकिन व्यवस्थाओं में खास सुधार देखने को नहीं मिले हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक अब खतरा तीसरी लहर का मंडराने लगा है जिसके दूसरी लहर से ज्यादा तेज होने के आसार हैं। संक्रमण का असर बच्चों में फैलने की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में दूसरी लहर से सबक लेकर संसाधनों की मजबूती पर ध्यान दिया जाना जरूरी है।

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शनिवार को बरेली पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वीडियो कांफ्रेंसिग कर जिले के हालातों की समीक्षा की। समीक्षा के दौरान उन्होंने तीसरी लहर की आशंका पर चिता व्यक्त करते हुए संसाधनों को दुरुस्त करने के आदेश दिए। मुख्यमंत्री ने ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर सुविधाएं बढ़ाने के साथ ही कोविड केयर सेंटर के तौर पर तैयार करने के निर्देश दिए।

सवाल यह है कि इन आदेशों को अमलीजामा पहनाने की इच्छाशक्ति कैसे जागृत हो। चिकित्सकीय उपकरणों समेत मानव संसाधन की कमी व चिकित्सकीय ढांचे में सुविधाओं का अभाव नई समस्या नहीं है। जनपद से लगभग हर माह सीएमओ कार्यालय व जिला संयुक्त अस्पताल से रिक्त पदों का ब्योरा, मानव संसाधन की स्थिति का ब्योरा, उपकरणों की डिमांड आदि शासन को भेजी जाती है। इसमें से शायद ही कुछ पूरी होती हो। ऐसी स्थिति में कोरोना की तीसरी लहर में बिना हथियार लड़ाई लड़ने की चेष्टा जनता के साथ बेईमानी है। एलटू कोविड में विशेषज्ञ नहीं: जनपद के एकमात्र एलटू कोविड अस्पताल में मरीजों की देखभाल के लिए विशेषज्ञों का अभाव है। एकमात्र फिजीशियन दिन में दो बार राउंड लेता है जबकि 24 घंटे फिजीशियन की तैनाती आवश्यक है। एलटू में आजकल सामने आ रहे मरीजों को देखते हुए वेंटिलेटर की भी जरूरत है लेकिन उसे चलाने के लिए प्रशिक्षित डॉक्टर व स्टाफ नहीं है। ऐसे में तीसरी लहर के दौरान एलटू में इलाज कैसे होगा, इसका जबाब किसी के पास नहीं है। डाक्टरों की कमी: जनपद के जिला संयुक्त अस्पताल में चिकित्सकों के 20 पद रिक्त चल रहे हैं। जिला संयुक्त अस्पताल में गंभीर रोगियों के इलाज के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। कार्डियोलाजिस्ट, न्यूरोफिजीशियन जैसे विशेषज्ञों के पद खाली पड़े हैं। आकस्मिक मेडिकल अफसर के पद पर एक भी डाक्टर कार्यरत नहीं है।

इसी प्रकार, सीएचसी व पीएचसी पर डॉक्टरों की कमी चल रही है। वर्तमान में केवल 109 पदों के सापेक्ष केवल 49 डॉक्टर सेवाएं दे रहे हैं। इसमें सीएमओ समेत आठ डॉक्टर लेवल-4 के हैं जो प्रशासनिक कार्य में लगे हुए हैं। सीएचसी-पीएचसी के डॉक्टरों व स्टाफ की ड्यूटी लगाकर ही एलटू कोविड अस्पताल का संचालन हो पा रहा है। पैरामेडिकल स्टाफ का टोटा: जनपद में जिला संयुक्त अस्पताल व सीएचसी-पीएचसी पर पैरामेडिकल स्टाफ भी पूरा नहीं है। जिला संयुक्त अस्पताल में पैरामेडिकल स्टाफ के 42 पद रिक्त चल रहे हैं। सीएचसी-पीएचसी पर पैरामेडिकल स्टाफ के 384 पद खाली पड़े हैं। ऐसी स्थिति में चिकित्सा व्यवस्था को मजबूत करने के दावे खोखले दिखाई दे रहे हैं। इनसेट--

संविदा आधारित नियुक्ति की फाइलें लंबित: जनपद में संविदा आधार पर दो डॉक्टरों व दर्जन भर पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति की जानी है। शासन ने कोरोना महामारी को देखते हुए यह नियुक्तियां बिना किसी टेंडर के जल्द से जल्द करने के आदेश दिए थे। सीएमओ कार्यालय से औपचारिकताएं पूर्ण कर फाइल जिलाधिकारी को भेज दी गई। एक माह गुजरने को है लेकिन अभी तक जिलाधिकारी की ओर से फाइलों पर अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका है। समय पर नियुक्तियां हो जाने से कोविड-19 संक्रमण के दौरान स्टाफ की कमी से जूझ रहे स्वास्थ्य विभाग को मरीजों को सुविधाएं देने में कुछ राहत मिल सकती है। वर्जन--

स्टाफ की कमी बनी है। शासन को रिक्त पदों के बारे में अवगत कराया जाता है। वर्तमान में जो स्टाफ मौजूद है, उसी से काम चलाया जा रहा है। लोगों को दिक्कत न हो, इसके लिए स्टाफ ओवरलोड कार्य कर रहा है। चिकित्सकीय उपकरणों की खरदी की जा रही है। गत वर्ष से अब तक काफी संख्या में नए उपकरण आए हैं।

- डॉ. सीमा अग्रवाल, सीएमओ


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