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लेजर फेंस तकनीक से होगी जंगल की निगरानी

वैज्ञानिकों ने उपयोगी उपकरणों का प्रदर्शन किया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 01:23 AM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2019 01:23 AM (IST)
लेजर फेंस तकनीक से होगी जंगल की निगरानी
लेजर फेंस तकनीक से होगी जंगल की निगरानी

जेएनएन, पीलीभीत : मानव- वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए नई तकनीकी के उपयोग के संबंध में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन रक्षा मंत्रालय के वैज्ञानिकों उपयोगी उपकरणों का प्रदर्शन किया। इन उपकरणों के जंगल में प्रयोग किये जाने पर सहमति भी बनी।

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सोमवार को मुस्तफाबाद वन विश्राम गृह में कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए प्रमुख वन संरक्षक पवन कुमार ने कहा कि वैज्ञानिक तकनीकी के उपयोग से वन विभाग को लाभ मिलेगा। उन्होंने लेजर फेंस सिस्टम, आप्टीकल टारगेट लोकेटर तथा नशीले पदार्थ तथा अन्य पावडर की तुरंत पहचान करने वाले उपकरणों का प्रदर्शन देखकर इसे उपयोगी बताया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के लेजर साइंस एवं तकनीकी के निदेशक डॉ. हरीबाबू श्रीवास्तव ने बताया कि यह उपकरण विदेशी उपकरणों की तुलना में सस्ते हैं। उन्होंने कहा कि इन उपकरणों का उपयोग सेना करती है। यदि वन विभाग चाहेगा तो इन उपकरणों की आपूर्ति की जा सकती है। इस पर प्रमुख वन संरक्षक ने लेसर फेंस सिस्टम का प्रदर्शन जंगल में किए जाने पर सहमति जताई।

लेजर फेंस तकनीक से जंगल में किसी भी व्यक्ति और वन्यजीव के प्रवेश और निकलने की तुरंत जानकारी मिल सकती है। इसे पांच सौ मीटर पर लगाया जाता है। इसमें एक कैमरा भी है, जो लेजर फैंस को तोडने पर तुरंत ही उसका चित्र आ जाएगा साथ ही एक अलार्म बजेगा। इसका उपयोग अभी तक भारतीय सेना सीमा पर करती है। वैज्ञानिक डॉ. देवेंद्र पाल घई ने बताया कि इस तकनीक का वन विभाग बेहतर उपयोग कर सकता है। इसे वन विभाग की जरूरत के अनुसार परिवर्तित भी किया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने आप्टीकल टारगेट लोकेटर का डेमो किया। इस लोकेटर में दूरबीन जैसा यंत्र है। इसमें पांच सौ मीटर दूर बैठे वन्यजीव को आसानी से देखा जा सकता है। घनी झाडियों में छिपे वन्यजीव की मौजदूगी इस यंत्र में स्पष्ट दिखाई देगी।। इस यंत्र के माध्यम से गन्ने के खेत में छिपे बैठे वन्यजीव को देखा जा सकता है। इसके अलावा एक अन्य एनालाइजर मशीन का भी प्रदर्शन किया गया। जिसमें कुछ सेकेंड में ही किसी भी पावडर का परीक्षण कर बताया जा सकता है, कि यह पावडर कहीं विस्फोटक तो नहीं है, अथवा यह ड्रग तो नहीं है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन मुख्यालय के निदेशक मनीष भारद्वाज, मुख्य वन संरक्षक बरेली अरविद गुप्ता, वैज्ञानिक डॉ. अनिल कुमार बडोला, दुधवा नेशनल पार्क के फील्ड डायरेक्टर रमेश पांडेय, वाइल्ड लाइफ क्राइम ब्यूरों के निदेशक गिरीश एचवी, पीलीभीत टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर डॉ.एच.राजामोहन, उपनिदेशक आदर्श कुमार, वन एवं वन्यजीव प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी संजीव कुमार समेत अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

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