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वन्यजीवों को रेस्क्यू करने के बढ़ेंगे संसाधन

टाइगर रिजर्व के जंगल से अक्सर बाघ और तेंदुआ जैसे हिसक वन्यजीव बाहर निकलकर खेतों गांवों तक पहुंच जाते हैं। ऐसे में टाइगर रिजर्व प्रशासन को रेस्क्यू ऑपरेशन चलाना पड़ता हैलेकिन उसमें संसाधनों की कमी रोड़ा बनती रही है। अब शासन ने संसाधनों की खरीद के लिए हरी झंडी मिल गई है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 12:24 AM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 12:24 AM (IST)
वन्यजीवों को रेस्क्यू करने के बढ़ेंगे संसाधन
वन्यजीवों को रेस्क्यू करने के बढ़ेंगे संसाधन

पीलीभीत, जेएनएन : टाइगर रिजर्व के जंगल से अक्सर बाघ और तेंदुआ जैसे हिसक वन्यजीव बाहर निकलकर खेतों, गांवों तक पहुंच जाते हैं। ऐसे में टाइगर रिजर्व प्रशासन को रेस्क्यू ऑपरेशन चलाना पड़ता है,लेकिन उसमें संसाधनों की कमी रोड़ा बनती रही है। अब शासन ने संसाधनों की खरीद के लिए हरी झंडी मिल गई है। ट्रैंकुलाइज गन, अत्याधुनिक पिजरे, जाल समेत अन्य संसाधन जुटाए जाएंगे। संसाधन हो जाने पर वन्यजीव को रेस्क्यू करने में सुविधा रहेगी, इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष में कमी आएगी।

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अक्सर जंगल से बाहर निकलकर बाघ और तेंदुआ जैसे हिसक वन्यजीव खेतों तथा गांवों की आबादी में पहुंच जाते हैं। दो माह पहले माधोटांडा क्षेत्र में आबादी के नजदीक बाघ का लगातार मूवमेंट रहा था। अब कई दिनों पूरनपुर क्षेत्र में बाघ की चहलकदमी ने लोगों की नींद उड़ा दी है, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष के हालात बनते हैं। हालांकि वन विभाग और सामाजिक वानिकी की टीमें ऐसी किसी सूचना पर तुरंत सक्रिय हो जाती हैं। जंगल से बाहर घूमने वाले बाघ की मानीटरिग शुरू हो जाती है। मानीटरिग करने वाली टीम का सबसे पहला प्रयास तो यही रहता है कि वन्यजीव स्वयं ही जंगल में लौट जाए। कई बार ऐसा होता भी है परंतु अगर कोई हिसक वन्यजीव बार-बार आबादी क्षेत्र या खेतों में पहुंचने लगता है तो फिर टाइगर रिजर्व प्रशासन को उसे रेस्क्यू करने के लिए पिजरा लगाना पड़ता है। अगर वह पिजरे में नहीं फंस रह तो फिर अंतिम विकल्प के तौर पर उसे ट्रैंकुलाइज किया जाता है। तब पीटीआर प्रशासन को ट्रैंकुलाइज गन दुधवा से मंगानी पड़ती है। पिजरे भी पुराने हो चुके हैं। पिछले दिनों पिजरा खराब होने की वजह से ही जंगल के बाहर घूम रहे बाघ को कैद नहीं किया जा सका। दरअसल गन्ना सीजन के दौरान ही अक्सर बाघ जंगल से बाहर निकल आते हैं, क्योंकि गन्ना उनके छिपने का सहारा बन जाता है। बहरहाल अब टाइगर रिजर्व प्रशासन को जल्द ही संसाधनों की कमी से निजात मिलेगी। आधुनिक संसाधन मिल जाने के बाद बाघ, तेंदुआ को रेस्क्यू करने में आसानी होगी।

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वन्यजीवों के रेस्क्यू करने के लिए आवश्यक संसाधनों की कमी लंबे समय से आड़े आ रही थी, लेकिन अब आधुनिक संसाधन जुटाने के लिए मुख्यालय से 54 लाख रुपये की धनराशि प्राप्त हो गई है। इससे आवश्यक आधुनिक उपकरणों की खरीद की जाएगी।

-नवीन खंडेलवाल, डिप्टी डाइरेक्टर पीलीभीत टाइगर रिजर्व


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