खेतों की मेड़ से स्कूल जाने को विवश हैं बच्चे
ब्लाक क्षेत्र की ग्राम पंचायत भौना के प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को स्कूल तक जाने के लिए नहीं है सुगम रास्ता।
(पीलीभीत) : ब्लाक क्षेत्र की ग्राम पंचायत भौना के प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है। ये बच्चे खेतों की मेड़ से तीन सौ मीटर की दूरी तय करके कीचड़युक्त पानी में घुसकर स्कूल पहुंचते हैं, जिससे बच्चों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
ब्लाक क्षेत्र का एक ऐसा ही प्राथमिक विद्यालय भौना है, जहां तक पहुंचने के लिए किसी प्रकार का कोई रास्ता नहीं है। बच्चे खेतों की मेड़ों के बीच निकलकर स्कूल तक पहुंचते हैं। कभी भी कोई जहरीला कीड़ा खेत से निकल कर बच्चों को काट सकता है। ऐसे में अभिभावकों को ¨चता रहती है। ग्रामीणों के मुताबिक, करीब 20 वर्ष पूर्व खलिहान की जमीन पर प्रधान हरप्यारी के कार्यकाल में स्कूल बनवाया गया था। आज तक खेतों की मेड़ से कीचड़युक्त पानी से गुजर कर बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए जाना पड़ रहा है। इस दिशा में बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी भी अनजान बने हुए हैं। प्रधानाध्यापक मोहम्मर अफसर ने बताया कि स्कूल जाने के लिए रास्ता नहीं है। बच्चे मेड़ों से होकर स्कूल पहुंचते हैं। स्कूल में सौ बच्चे पंजीकृत हैं। बच्चों को काफी दिक्कत होती है।
मेरे सज्ञान में यह मामला नहीं है। अगर ऐसी कोई शिकायत स्कूल के रास्ते को लेकर है, तो जांच कराई जाएगी। अगर रास्ता सरकारी अभिलेख मे होगा तो दिया जाएगा। ग्रामीणों से बात कर रास्ते का कोई उपाय निकाला जाएगा।
-राकेश कुमार, एसडीएम, अमरिया यह गंभीर समस्या है। खंड विकास अधिकारी को साथ लेकर स्थान का निरीक्षण किया जाएगा। शासन से जो भी कार्रवाई होगी। उसे अमल में लाया जाएगा। ग्रामवासियों से मिलकर रास्ते के लिए हर संभव प्रयास किए जायेंगे
-गंगा प्रसाद गौतम, खंड शिक्षा अधिकारी, अमरिया स्कूल आने पर मेड़ पर पैर फिसल जाता है, जिससे मैं कीचड़ गिर जाता हूं। स्कूल पहुंचने में दिक्कत होती है।-प्रिया
स्कूल जाने के लिए बहुत कठिनाई होती है। खेतों के किनारे कांटे लगा दिए गए हैं जो पैर फिसलने पर पैरों में चुभ जाते हैं।-रोशनी खेतों की मेड़ों पर चलना बहुत दूभर है। नीचे नाले में पानी भरा रहता है, जिसमें बच्चे रोज पानी में गिर जाते हैं।-अरुण कीचड़ में गिरकर कपड़ें खराब हो जाते हैं, जिससे घर पर डांट पड़ती हैं। रोज कपड़ों को धोने पड़ते हैं।-रीता