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गोशालाओं के गोबर से बनेंगे गमले

राष्ट्रीय आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित स्वयं सहायता समूह गोशालाओं से गोबर प्राप्त कर धूपबत्तीअगरबत्ती गमले व मूर्तियों समेत कई उत्पाद निर्मित करेंगे इसके लिए जिलाधिकारी पुलकित खरे ने पहल की है। कई समूहों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। अगले महीने उत्पाद बनने शुरू हो जाएंगे। आजीविका मिशन की ओर से ही इन उत्पादों की बिक्री के लिए बाजार भी उपलब्ध कराया जाएगा। जिले के सभी विकास खंडों के ग्रामीण इलाकों में कुल 17 गोशालाओं का संचालन हो रहा है। सभी गोशालाओं से उन गांवों में क्रियाशील महिलाओं के स्वयं सहायता समूह गायों का गोबर प्राप्त करेंगे। गोबर से विभिन्न तरह के उत्पाद निर्मित किए जाएंगे। निर्मित उत्पादों की बिक्री बाजार में कराई जाएगी। राष्ट्रीय आजीविका मिशन की ओर से आयोजित की जाने वाली प्रदर्शनी में स्टाल लगवाकर उत्पादों की बिक्री होगी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 12:36 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 12:36 AM (IST)
गोशालाओं के गोबर से बनेंगे गमले
गोशालाओं के गोबर से बनेंगे गमले

पीलीभीत,जेएनएन : राष्ट्रीय आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित स्वयं सहायता समूह गोशालाओं से गोबर प्राप्त कर धूपबत्ती,अगरबत्ती, गमले व मूर्तियों समेत कई उत्पाद निर्मित करेंगे, इसके लिए जिलाधिकारी पुलकित खरे ने पहल की है। कई समूहों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। अगले महीने उत्पाद बनने शुरू हो जाएंगे। आजीविका मिशन की ओर से ही इन उत्पादों की बिक्री के लिए बाजार भी उपलब्ध कराया जाएगा।

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जिले के सभी विकास खंडों के ग्रामीण इलाकों में कुल 17 गोशालाओं का संचालन हो रहा है। सभी गोशालाओं से उन गांवों में क्रियाशील महिलाओं के स्वयं सहायता समूह गायों का गोबर प्राप्त करेंगे। गोबर से विभिन्न तरह के उत्पाद निर्मित किए जाएंगे। निर्मित उत्पादों की बिक्री बाजार में कराई जाएगी। राष्ट्रीय आजीविका मिशन की ओर से आयोजित की जाने वाली प्रदर्शनी में स्टाल लगवाकर उत्पादों की बिक्री होगी। वर्तमान वित्तीय वर्ष में पूरे जिले में राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत कुल 998 स्वयं सहायता समूह गठित किए गए। अनेक समूह परिषदीय स्कूलों के बच्चों के लिए यूनिफार्म की सिलाई करने से लेकर आंगनबाड़ी के बच्चों, महिलाओं को खाद्यान्न वितरण जैसे कार्य कर रही हैं। कुल 17 समूहों को गोबर से विभिन्न तरह के उत्पाद निर्मित करने के लिए प्रशिक्षण दिलाया जा चुका है। मरौरी विकास खंड के गांव चिड़ियादाह में संचालित मां दुर्गे स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष सरिता देवी के अनुसार उनके समूह में कुल 12 महिलाएं शामिल हैं। उन सभी को गोबर से गमले और मूर्तियां निर्मित करने का ऑनलाइन प्रशिक्षण दिलाया जा चुका है। समूह की सचिव ममता देवी कहती हैं कि मूर्तियां निर्मित करने के लिए डाई महाराष्ट्र के नागपुर से मंगाई जाएगी। अगले महीने से उत्पाद तैयार करने का कार्य शुरू हो जाएगा। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. अखिलेश गर्ग के अनुसार इससे समूहों की महिलाओं को आमदनी बढ़ाने का जरिया मिलेगा। गोशालाओं के गोबर का उचित ढंग से निस्तारण हो सकेगा। फिलहाल इन समूहों को गोशालाओं से गोबर निश्शुल्क दिया जाएगा। इनसेट

जिले के कुल 17 स्वयं सहायता समूह गोशालाओं से प्राप्त होने वाले गोबर से विभिन्न तरह के उत्पाद निर्मित करके आमदनी बढ़ाएंगे। इनके उत्पादों की बिक्री का माध्यम भी उपलब्ध कराया जाएगा।

जगदीश चंद्र जोशी, परियोजना अर्थशास्त्री जिला ग्राम्य विकास अभिकरण


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