बंद करने लगे लोग पॉलीथिन का उपयोग
पॉलीथिन का बढ़ता चलन गंभीर समस्या बन गया था। इस्तेमाल के बाद कूड़े में फेंकी जाने वस्तुएं पशुओं के लिए जानलेवा बन गई है।
पीलीभीत : पॉलीथिन का बढ़ता चलन गंभीर समस्या बन गया था। इस्तेमाल के बाद कूड़े में फेंकी जाने वाली पॉलीथिन नाले-नालियों में पहुंचकर गंदे पानी के बहाव को अवरुद्ध करती रही लेकिन अच्छी बात यह है कि अब शहर को पॉलीथिन से लगभग मुक्ति मिल गई है। बाजार में ज्यादातर दुकानदार अपने ग्राहकों को अखबारी कागज के लिफाफे या फिर महीन कपड़े के थैले में भरकर सामान दे रहे हैं। लोगों के घरों पर अब पहले की भांति पॉलीथिन नहीं पहुंच रही है।
पॉलीथीन पर प्रतिबंध तो कई बार लगाया गया। इससे पहले जागरण की ओर से भी लोगों को पॉलीथिन के खतरों के प्रति आगाह करते हुए जन जागरूकता अभियान चलाया गया। इसी के बाद योगी सरकार ने शासनादेश जारी करके पॉलीथिन पर पूरी तरह प्रतिबंध घोषित कर दिया। इधर, ग्राहक भी जागरूक होने लगे। हालांकि अनेक दुकानदार पॉलीथिन का मोह नहीं छोड़ पा रहे थे लेकिन जब प्रशासन की ओर से छापामार कार्रवाई करके पॉलीथिन पकड़े जाने पर जब मौके पर ही जुर्माना वसूला जाने लगा तो दुकानदार भी तौबा करने लगे। वर्तमान में शहर से पॉलीथिन लगभग गायब हो चुक है। डोर टू डोर कूड़ा उठना शुरू
नगर पालिका परिषद ने डोर टू डोर कूड़ा उठाए जाने की व्यवस्था अभी शुरू हुई है लेकिन ढर्रे पर आने में वक्त लगेगा। पालिकाध्यक्ष विमला जायसवाल का कहना है कि दीपावली से इसे प्रायोगिक तौर पर लागू किया जा रहा है। इसमें शहर के सभी 27 वार्ड शामिल रहेंगे। हर वार्ड में कर्मचारी दो तरह की डस्टबिन लेकर पहुंचेंगे। एक में सूखा कूड़ा और दूसरे में गीला कूड़ा घरों से ही ले लिया जाएगा। सड़कों के किनारे डं¨पग प्वाइंट पर कूड़े के ऊंचे ढेर नहीं लगेंगे। उन्होंने बताया कि कूड़ा निस्तारण के लिए जमीन का चयन भी कर लिया गया है।
डेमू ट्रेन का सपना पूरा
तराई के जिले के लोगों को डेमू ट्रेन की सौगात पिछले महीने की शुरुआत में ही मिल गई। डेमू ट्रेन रोजाना शाम तो बरेली से चलकर पीलीभीत आती है और फिर रात साढ़े नौ बजे बरेली के लिए प्रस्थान करती है। यहां के यात्रियों के लिए डेमू ट्रेन में सफर करने का नया अनुभव है, जो लोगों को काफी सुखद लग रहा है। पीलीभीत-बरेली रेलवे लाइन पर डेमू ट्रेन की शुरुआत विगत पहली अक्टूबर से हुई थी।