आरोपित गुलशेर ने दोस्ती को कर दिया कलंकित
गुलशेर ने नेमचंद का दोस्त बनकर जिस तरह का घृणित कृत्य कर डाला, उसे करने के लिए लोगों को सौ बार सोचना होगा।
पीलीभीत : गुलशेर ने नेमचंद के दोस्त बनकर जिस तरह का घृणित कृत्य कर डाला, उसे करने के लिए कोई दुश्मन भी सौ बार सोचेगा। दोस्ती के नाम पर उसने अपने दोस्त के साथ ही परिवार के पांच लोगों की जान ले ली। शहर के जागरूक लोगों का कहना है कि आज के समय में किसी से परिचय हो जाए तो दोस्ती करने के पहले अच्छी तरह उसके बारे में जांच-परख कर लेना चाहिए, तभी उस पर विश्वास करना शुरू करें।
आज का युग श्रीकृष्ण-सुदामा जैसी मित्रता का नहीं रह गया। अक्सर देखने में आता है कि दोस्त ही दगा दे जाते हैं। बेनीपुर के नेमचंद से यही चूक हो गई। चंद महीने की जान पहचान से ही उसने गुलशेर पर भरोसा कर लिया। अगर वह दोस्त बनाने से पहले अच्छी तरह से परख लेता तो शायद आरोपितों को इस तरह की जघन्य वारदात करने का अवसर नहीं मिल पाता। सनातन धर्म बांकेबिहारी राम इंटर कॉलेज के सेवानिवृत्त प्रवक्ता व समाधान समिति के रिसोर्सपर्सन लक्ष्मीकांत शर्मा कहते हैं कि कोई अनजान व्यक्ति अगर परिचय करके बाद दोस्ती के लिए निकटता बढ़ाने लगे तो सहज ही उस पर विश्वास कर लेना घातक हो सकता है। पहले उसके बारे में पूरी जानकारी जुटा लेना चाहिए। क्योंकि इस तरह से जल्दबाजी में किसी से दोस्ती कर लेना खतरे से खाली नहीं होता। रणजीत ¨सह कॉलोनी में रहने वाले अधिवक्ता देवेंद्र कुमार मिश्र कहते हैं कि दोस्तों से धोखा कई बार इसी वजह से मिलता है कि हम अच्छी तरह से परखने से चूक जाते हैं और बाद में पछतावा होता है। अनजान लोगों से परिचय और फिर दोस्ती के साथ उन्हें अपने घर ले आना बिल्कुल भी उचित नहीं है। इस बड़ी घटना से लोगों को सबक लेना चाहिए। पेशे से शिक्षक दीपक सक्सेना कहते हैं कि एकाएक हो जाने वाली दोस्ती से धोखा मिलता है। किसी के साथ भी दोस्ती करें तो अच्छी तरह उसका पूर्व इतिहास और वह क्या करता है, इसके बारे में जानकारी जरूर जुटा लेना चाहिए।