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समर्थन मूल्य किसानों के लिए दूर की कौड़ी

शासन द्वारा धान का समर्थन मूल्य बढ़ाए जाने पर काश्तकारों में खुशी थी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 06:26 AM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 06:26 AM (IST)
समर्थन मूल्य किसानों के लिए दूर की कौड़ी
समर्थन मूल्य किसानों के लिए दूर की कौड़ी

पीलीभीत : शासन द्वारा धान का समर्थन मूल्य बढ़ाए जाने पर काश्तकारों में खुशी थी लेकिन क्षेत्र में सरकारी धान क्रय केंद्रों पर किसानों का धान न खरीदे जाने से किसानों ने अपने खून पसीने से पैदा किया धान को ओने पौने दामों में बिचौलियों को मजबूरी बस बिक्री किया। शासन द्वारा जारी समर्थन मूल्य काश्तकारों के लिए दूर की कौड़ी साबित हुआ सूत्रों के अनुसार कई बड़े व्यापारी अपना धान सांठगांठ कर सरकारी रेट में तुलवा रहे हैं वहीं इस ओर धान क्रय केंद्रों पर तौल न किए जाने को लेकर प्रशासन भी गंभीर नहीं है क्रय केंद्रों पर धानो में नमी बता कर काश्तकारों को टरकाया गया जिसका दर्द किसानों ने जागरण टीम से साझा किया

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मेरे गांव में हर बार सरकारी धान खरीद केंद्र लगता था इस बार मुख्य पॉइंट होने के बावजूद क्रय केंद्र नहीं लगाया गया जिससे लोगों का धान नहीं तुलपाया प्रशासन को क्रय केंद्र लगाना चाहिए था लोगों ने मजबूरी में कम दामों में धान बेचा ।

रामचंद्र लाल केशवपुर।

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सरकार द्वारा काफी अच्छा समर्थन मूल्य जारी किया गया था लेकिन सरकारी सेंटरों पर किसानों का धान नहीं खरीदा गया जिसके चलते हम लोगों को समर्थन मूल्य का लाभ नहीं मिल पाया मेरे पास 10 एकड़ धान थे जिन्हें 14 शो के हिसाब से बेचना पड़ा। बद्री प्रसाद वर्मा पूर्व प्रधान लुकटीआई।

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मेरे 5 एकड़ धान थे लेकिन सरकारी क्रय केंद्रों पर इस बार धान की खरीद नहीं की गई जिसके चलते समर्थन मूल्य का लाभ नहीं मिल पाया समर्थन मूल्य जारी होने पर काफी खुशी थी मुझे क्या पता था कि मात्र किसानों के साथ छलावा हो रहा है मजबूरी बस लोगों की देनदारी देने के लिए ओने पौने दामों में धान को बिक्री करना पड़ा।

तिलक ¨सह मोहब्बतपुर

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मेरे पास 8 एकड़ धान थे सरकारी क्रय केंद्र पर धान लेकर पहुंचा था नवी बता कर खरीदने से इंकार कर दिया समर्थन मूल्य तो काफी अच्छा था उम्मीद थी कि महंगे दामों में ठेके पर ली गई जमीन का भी मेहनताना अच्छी तरीके से निकल आएगा पर धान को सरकारी क्रय केंद्रों पर खरीदा ही नहीं गया मजबूरी बस कुछ दिन की उधारी पर बिक्री किया।

कन्हाई लाल दिलावरपुर

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