टाइगर रिजर्व को पशु अस्पताल की दरकार
73 हजार हेक्टेयर के बड़े भूभाग और पांच वन रेंज में फैला पीलीभीत टाइगर रिजर्व 50 बंगाल टाइगर हैं।
पीलीभीत : 73 हजार हेक्टेयर के बड़े भूभाग और पांच वन रेंज में फैला पीलीभीत टाइगर रिजर्व 50 बंगाल टाइगर प्रजाति के बाघों की मेजबानी पर इतराता है। भीतर हिरन, मोर, तेंदुआ सहित लगभग एक दर्जन प्रजाति के सैंकड़ों वन्य जीव हैं। लेकिन, इन जीवों को शिकार के दौरान चोट लग जाए तो इलाज भूल जाइये। प्रदेश और केंद्र सरकार के इस ड्रीम प्रोजेक्ट मे एक अदद पशु अस्पताल तक नहीं है। किसी संरक्षित वन्य जीव के घायल होने पर पशुपालन विभाग से डॉक्टर और टीम भेजने के लिए मिन्नत करनी पड़ती हैं।
चार साल पहले घोषित हुआ था रिजर्व
पीलीभीत में वन्य क्षेत्र कई दशकों पुराना है। लेकिन, इसे संरक्षित क्षेत्र का दर्जा नौ जून 2014 को मिला था। चार साल पहले बाघ संरक्षण परियोजना के तहत पांच क्षेत्रों को शामिल कर टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। माला, महोफ, बराही, हरिपुर, दियोरिया कला तक पूरा वन क्षेत्र लगभग 73 हजार हेक्टेयर में फैला है। वर्तमान में बाघ के साथ ही हिरण, मोर, तेंदुआ, बंगाल फ्लोरिकन, हिस्पिडहियर आदि वन्य जीवों की काफी संख्या है।
बुलाते हैं पशुपालन विभाग से डॉक्टर
चार साल में टाइगर रिजर्व वाला वन विभाग एक स्थाई पशु अस्पताल तक स्थापित कर सका। जीवों के घायल होने का पता भी तब चल पाता है जब वह किसी ताल पर पानी पीने पहुंचते हैं। रेजर कैमरों में फोटो दिखने पर जीव के घायल होने की पहचान हो पाती है। इलाज के लिए पशुपालन विभाग के डॉक्टर को बुलाना पड़ता है।
पोस्टमॉर्टम को भेजे जाते हैं आइवीआरआइ
टाइगर रिजर्व के जंगल में बाघ समेत अन्य वन्यजीव की मौत होने पर पैनल से पोस्टमॉर्टम कराने के नियम हैं। टाइगर रिजर्व या पशुपालन विभाग में पर्याप्त डॉक्टर न होने पर पोस्टमॉर्टम के लिए बरेली स्थित आइवीआरआइ भेजे जाते हैं। बरेली तक की दौड़ लगानी पड़ती है।
वर्जन..
घायल वन्यजीवों के समय से इलाज व चेकअप के लिए स्थाई पशु अस्पताल के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें वेटनरी आफीसर, बायोलॉजिस्ट समेत अन्य विशेषज्ञ होंगे। वेटनरी आफीसर नियुक्त हो जाने से वन्यजीवों को बेहतर इलाज मिल सकेगा।
-डॉ.एच.राजामोहन, फील्ड डायरेक्टर
पीलीभीत टाइगर रिजर्व