प्रशासन के दबाव में किसानों ने आढ़तों पर बेचा धान
इस बार तो सरकारी धान की खरीद लक्ष्य के पचास प्रतिशत तक भी पहुंचने के आसार नहीं हैं।
पीलीभीत : इस बार तो सरकारी धान की खरीद लक्ष्य के पचास प्रतिशत तक भी पहुंचने के आसार नहीं हैं। जिला प्रशासन के दबाव में सेंटरों पर धान बेचने के लिए जिन किसानों ने पंजीकरण तो करा लिए लेकिन धान लेकर सरकारी सेंटरों पर नहीं गए।
धान की सरकारी खरीद के लिए किसानों के पंजीकरण की व्यवस्था शासन की ओर से लागू की गई। गेहूं सीजन में तो किसानों ने पंजीकरण कराने में उत्साह दिखाया लेकिन धान के लिए काफी प्रयासों के बाद भी सिर्फ साढ़े नौ हजार किसानों के पंजीकरण हो सके। गेहूं के सीजन में तो 23 हजार 469 किसानों ने अपने पंजीकरण कराए थे। धान के सीजन में सिर्फ 6 हजार 844 किसानों ने ही पंजीकरण कराया था। इसके बाद जिला प्रशासन ने लेखपालों के माध्यम से किसानों पर दबाव बनाया तो यह संख्या बढ़कर 9 हजार 500 हो गई। उसमें भी अब तक सिर्फ एक हजार किसानों का ही धान सेंटरों पर खरीदा जा सका। जबकि धान का सीजन कुछ दिनों में समाप्त होने वाला है। ऐसे में खरीद का सरकारी लक्ष्य पूरा हो जाना असंभव सा है। अब तक कितना धान खरीदा गया। शासन से जिले को 3 लाख 8 हजार मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य मिला है लेकिन अभी तक सात हजार मीट्रिक टन ही सरकारी धान की खरीद हो सकी है। दरअसल सबसे बड़ी समस्या धान में नमी के मानक की रही है। तराई के जिले में धान की कटाई जल्दी शुरू हो जाती है। साथ ही सरकारी सेंटर भी पहली अक्टूबर से खुल जाते हैं लेकिन धान में नमी 17 प्रतिशत से अधिक होने के कारण सेंटरों पर किसानों का धान नहीं तौला जाता है। सरकारी धान की खरीद में पिछड़ने के यह भी एक प्रमुख कारण है। वैसे जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी अविनाश झा का कहना है कि जिन किसानों ने पंजीकरण करा रखा है, उनका धान तो सेंटरों पर आएगा ही। लक्ष्य प्राप्त करने का प्रयास जारी रहेगा।