गन्ने में पोक्का बोइंग रोग का प्रकोप
गन्ने में पोक्का बोइंग रोग का असर पड़ने लगा है। गन्ने की पत्तियां आपस में एकत्र होकर सड़कर गिर रही हैं। पूरी तरह से रोग की चपेट में आने से बढ़वार के साथ पैदावार में काफी गिरावट आ सकती है। किसान भी इसे लेकर चितित हैं।
पूरनपुर (पीलीभीत) : गन्ने में पोक्का बोइंग रोग का असर पड़ने लगा है। गन्ने की पत्तियां आपस में एकत्र होकर सड़कर गिर रही हैं। पूरी तरह से रोग की चपेट में आने से बढ़वार के साथ पैदावार में काफी गिरावट आ सकती है। किसान भी इसे लेकर चितित हैं।
पूरनपुर क्षेत्र में गन्ने में पोक्का बोइंग रोग का प्रकोप दिखाई देने लगा है। यह एक फफूंदी जनित रोग है जिसका प्रकोप वर्षा ऋतु में सर्वाधिक होता है। रोग के लक्षण वर्ष भर दिखाई देते हैं। रोग की प्रारम्भिक अवस्था में अगौले की पत्तियों पर नीचे की ओर जहां पत्ती तने से जुड़ती है, वहां सफेद पीले रंग के धब्बे दिखाई देते है, जो बाद में लाल भूरे रंग के हो जाते हैं। इस रोग चपेट में आकर पत्ती वहां से सड़कर और टूटकर गिर जाती है। रोग की अधिकता होने पर अगौले की सारी पत्तियां आपस मे मुड़कर एक दूसरे से उलझ जाती है और सड़कर गिरने लगती हैं। अगौला एक ठूंठ की तरह दिखाई देता है। इससे फसल की बढ़वार रुक जाती है और उपज में भारी कमी दिखाई देती है। इस तरह से करें उपचार
ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक सुनील कुमार शुक्ल ने बताया कि पोक्का बोइंग रोग की रोकथाम के लिए वर्षा काल से ही सजग रहने की आवश्यकता है। रोग के लक्षण दिखाई देने पर कापर आक्सी क्लोराइड 0.2 फीसदी का घोल (200 ग्राम दवा को 100 ली. पानी) में मिलाकर 15 दिन के अंतराल पर दो बार में छिड़काव कर रोकथाम की जा सकती है।
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