एक तेंदुए को जंगल में छोड़ा, दूसरा कुत्ते पर झपटा
टाइगर रिजर्व जंगल के बूंदीभूड़ गांव से पकड़े गए तेंदुए को तीन दिन बाद जंगल में छोड़ दिया गया।
पीलीभीत : टाइगर रिजर्व जंगल के बूंदीभूड़ गांव से पकड़े गए तेंदुए को तीन दिन बाद जंगल में छोड़ दिया गया। साथ ही तेंदुए पर गहनता से निगहबानी करने के निर्देश दिए गए। वहीं बूंदीभूड़ गांव में लेजर कैमरे से मॉनीट¨रग की जा रही है।
टाइगर रिजर्व की बराही रेंज के अंतर्गत गांव बूंदीभूड़ में एक माह से तेंदुए का आतंक बना हुआ था, जिससे ग्रामीणों में दहशत व्याप्त थी। तेंदुए के आतंक की वजह से दिनचर्या काफी प्रभावित हो गई थी। इस पर टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर डॉ. एच. राजामोहन के निर्देश पर बूंदीभूड़ में दस लेजर कैमरे और दो ¨पजड़े लगवाए गए। कई दिनों तक ¨पजड़े के आसपास बकरी बांधी गई, लेकिन तेंदुआ गिरफ्त में नहीं आया। वन्यजीव विशेषज्ञों से बातचीत के अनुरूप ¨पजड़े के पास शिकार को बांधा गया। उसी दिन तेंदुए को पकड़ लिया गया। तेंदुए को पकड़ने के बाद स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया। प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव से तेंदुआ को छोड़े जाने की अनुमति ली गई, जहां से अनुमति मिलने के बाद तेंदुए को छोड़ने की कार्रवाई के आदेश जारी हो गए। बूंदीभूड़ में तेंदुआ को 19 सितंबर को पकड़ा गया था। अब ¨पजरे में बंद तेंदुआ को कई बाद जंगल में आजाद कर दिया गया। फील्ड डायरेक्टर राजामोहन ने बताया कि बूंदीभूड़ से पकड़े गए तेंदुआ को घने जंगल में छोड़़ दिया गया है, जहां पर तेंदुआ की पूरी तरह से निगहबानी रखी जाएगी। घने जंगल से तेंदुआ के बाहर आने की संभावनाएं बहुत ही कम है।
घर में घुसा तेंदुआ कुत्ते पर मारा झपट्टा
रमनगरा क्षेत्र घर में घुसकर तेंदुए ने कुत्ते पर हमला कर दिया। परिजनों के शोर शराबा करने पर तेंदुआ जंगल की तरफ भाग गया। तेंदुए के लगातार हमलों से ग्रामीण रात में जागने को मजबूर हैं।
कलीनगर तहसील क्षेत्र में इन दिनों तेंदुआ आतंक मचाए हुए हैं। तीन दिन पूर्व वन विभाग ने एक तेंदुए को ¨पजरे में कैद कर लिया था। गुरुवार रात तेंदुआ पुरैना निवासी जसवंत ¨सह के घर में घुस आया। आंगन में बैठे कुत्ते ने तेंदुए को देखकर भौंकना शुरू किया तो उसने हमला बोल दिया। घटना के दौरान खाना खाने के बाद जाग रहे परिजन कुत्ते के भौंकने की आवाज सुनकर लाठी डंडा लेकर मौके पर पहुंच गए। शोर शराबा करने पर तेंदुआ जंगल की तरफ भाग गया। क्षेत्र में तेंदुए के आतंक से ग्रामीण रातों में सो नहीं पा रहे हैं। पशुओं व परिजनों की सुरक्षा के लिए जरा सी भनक लगने पर ग्रामीण जाग जाते हैं।
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