सरकारी धान क्रय केंद्रों का बुराहाल
मंडी और ग्रामीण क्षेत्रों में लगे क्रय केंद्रों पर धान की खरीद सुचारू रूप से शुरू नहीं हो पाई है जिसके चलते किसान अपना औने पौने दामों में धान बिचौलियों के हाथों बेचने को मजबूर है। लगातार शोषण होने के बावजूद भी अधिकारी इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं जिसके चलते किसानों को जमकर लूटा जा रहा है।
संवाद सहयोगी, पूरनपुर (पीलीभीत) : मंडी और ग्रामीण क्षेत्रों में लगे क्रय केंद्रों पर धान की खरीद सुचारू रूप से शुरू नहीं हो पाई है जिसके चलते किसान अपना औने पौने दामों में धान बिचौलियों के हाथों बेचने को मजबूर है। लगातार शोषण होने के बावजूद अधिकारी इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं जिसके चलते किसानों को जमकर लूटा जा रहा है।
शासन ने किसानों की फसल का वाजिब मूल्य देने के लिए विभिन्न क्रय एजेंसियों के सेंटर तो स्थापित कर दिए हैं लेकिन इन पर खरीद व्यवस्था सुनिश्चित कराना एक बड़ी चेतावनी बनकर सामने आ रहा है। पूरनपुर तहसील क्षेत्र में संचालित क्रय केंद्रों पर नाम मात्र की धान खरीद की गई है। कई केंद्रों पर तो धान की शुरुआत तक नहीं हो पाई है। इसके चलते किसान अपना धान औने पौने दामों में बिचौलियों के हाथों देने को मजबूर हैं। किसानों ने बताया कि बेहद लागत से तैयार हुआ धन मजबूरन क्रय केंद्रों पर न खरीदे जाने से बिचौलियों को बेचना पड़ रहा है। सेंटर इंचार्ज धान में नमी बताकर खरीदने से साफ इंकार कर दे रहे हैं। जब बड़ी मात्रा में धान बिचौलियों एकत्र कर लेंगे तो उसे सरकारी खरीद पूरी करने के लिए उसे कागजों पर चढ़ाया जाएगा। किसानों ने शीघ्र ही सेंटरों पर सुचारू रूप से धान खरीद कराने की गुहार लगाई है। फोटो 16 पीएनपीआर 2
किसान इस समय काफी असमंजस में है। काफी मेहनत से तैयार किया गया धान सेंटर इंचार्ज नमी बता कर लौटा देते हैं। इसके चलते मजबूरन बिचौलियों के हाथों ने कम दाम में बेचना पड़ता है।
अनुज सिंह
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हर वर्ष किसानों के पास जब तक धान रहता है तब तक उसे नामी बताकर लौटाया जाता रहता है। जब किसानों के पास धान नहीं रह जाता है तो बिचौलियों से सरकारी आंकड़े पूरे किए जाते हैं।
बलजीत सिंह
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बाजार में धान की कीमत 14 सौ से 15 सौ रुपये के बीच है जबकि शासन ने धान का मूल्य 1860 रुपये घोषित किया है लेकिन यह समर्थन मूल्य मिलना दूर की कौड़ी साबित हो रहा है।
राधेश्याम
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किसानों के धान को उच्चाधिकारियों को प्राथमिकता के आधार पर क्रय केंद्रों पर खरीदवाना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। इसके चलते किसानों को वाजिब मूल्य नहीं मिल पा रहा है।
वीरेन्द्र कुमार