एक साल बाद भी नहीं चली एक्सप्रेस ट्रेन
पीलीभीत : इज्जतनगर मंडल के पीलीभीत-बरेली सिटी रेलखंड पर एक साल बाद भी एक्सप्रेस ट्रेन का सं
पीलीभीत : इज्जतनगर मंडल के पीलीभीत-बरेली सिटी रेलखंड पर एक साल बाद भी एक्सप्रेस ट्रेन का संचालन नहीं हो सका है, जिससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली, लखनऊ जाने के बाद बरेली जाकर ट्रेनें पकड़नी पड़ती है। इस दिशा में रेल विभाग को सकारात्मक कदम उठाने चाहिए।
पिछले साल 14 दिसंबर को पीलीभीत से बरेली सिटी तक पांच जोड़ी पैसेंजर ट्रेनों का संचालन शुरू किया गया था। तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु और केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने हरी झंडी दिखाकर रेलगाड़ी को गंतव्य के लिए रवाना किया गया था। उद्घाटन समारोह में एक माह के अंदर जनपद को लंबी दूरी की एक्सप्रेस संचालित कराने का जनता से वादा किया था, जो आज तक पूरा नहीं हो सका है। आने वाली 14 दिसंबर को बड़ी रेल लाइन की ट्रेन संचालन को एक साल हो जाएंगे। एक साल के अंदर बरेली सिटी रेलखंड पर एक्सप्रेस ट्रेनों के संचालन की दिशा में निर्णय नहीं लिया जा सका है। निर्णय न लेने की वजह से यात्रियों को अधिक किराया अदा करके गंतव्य तक पहुंचना पड़ता है। इस दिशा में स्थानीय जन प्रतिनिधि भी कोई प्रयास नहीं करते हैं। अगर रेलगाड़ी संचालन के एक साल पूरे होने पर एक्सप्रेस ट्रेन चला दी जाए, तो जनपदवासियों को काफी लाभ मिलेगा। रेलयात्री मुनीष श्रीवास्तव और तेजपाल राठौर का कहना है कि एक साल पूरे हो रहे हैं। अब एक्सप्रेस ट्रेन चलाने की दिशा में निर्णय लिए जाने की आवश्यकता है।
सलाहकार समितियां पड़ी हैं निष्क्रिय
रेलवे स्टेशन और रेल सुविधाएं विकसित करने के लिए स्टेशन और मंडल स्तरीय रेल परामर्शदात्री समितियों का गठन हैं, जिसमें समाज के प्रबुद्ध वर्ग के लोगों को लिया गया है। प्रबुद्ध वर्ग के लोगों को अपने काम से ही फुरसत नहीं है। ऐसे में रेल सुविधाओं पर सलाहकार समितियों के सदस्य ध्यान नहीं दे पाते हैं। ये समितियां निष्क्रिय पड़ी हुई है। इन समितियों को सक्रिय होने की आवश्यकता है।
लक्जरी गाड़ियों से चलते हैं जन प्रतिनिधि
रेलगाड़ियों मे यात्रा करने के लिए जन प्रतिनिधियों को टिकट मिलते हैं। कुछ ही जन प्रतिनिधि होते हैं, जो रेलगाड़ी में यात्रा करते हैं। लोगों का कहना है कि अक्सर जन प्रतिनिधि लक्जरी गाड़ियों से सफर तय करते हैं। इस वजह से आम जनता की समस्याओं के बारे में जानकारी नहीं है। जिस दिन जनप्रतिनिधि रेलगाड़ी से चलने लगे। उसी दिन जनता की समस्या समझ में आ जाएगी।