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उपेक्षा का शिकार स्वतंत्रता सेनानियों का गांव खांडेपुर

देश को आजादी दिलाने के लिए ग्राम खांडेपुर के 23 रणबांकुरे ने अंग्रेजों की हुकूमत से लोहा लिया था। अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी इस गांव में आए थे। जिस चबूतरे पर उन्होंने बरेली मंडल के आंदोलनकारियों के लिए रणनीति बनाई थी उसे नाम तो गांधी चबूतरा मिल गया लेकिन वहां कोई स्मारक तक नहीं बनाया गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 11:30 PM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 11:30 PM (IST)
उपेक्षा का शिकार स्वतंत्रता सेनानियों का गांव खांडेपुर
उपेक्षा का शिकार स्वतंत्रता सेनानियों का गांव खांडेपुर

पीलीभीत,जेएनएन : देश को आजादी दिलाने के लिए ग्राम खांडेपुर के 23 रणबांकुरे ने अंग्रेजों की हुकूमत से लोहा लिया था। अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी इस गांव में आए थे। जिस चबूतरे पर उन्होंने बरेली मंडल के आंदोलनकारियों के लिए रणनीति बनाई थी, उसे नाम तो गांधी चबूतरा मिल गया लेकिन वहां कोई स्मारक तक नहीं बनाया गया। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सबसे ज्यादा संख्या में सेनानी देने वाला यह गांव सिस्टम की उपेक्षा की भेंट चढ़ गया। जन सुविधाओं का आज भी टोटा है।

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देवहा नदी की तलहटी में बसे लगभग 4000 आबादी वाले इस गांव की पहचान स्वतंत्रता सेनानियों होती रही है। गांव के 23 युवाओं ने गुलामी की जंजीरों में जकड़े देश को आजादी दिलाने का संकल्प लिया था। क्रांतिकारी रामस्वरूप चंद्रशेखर आजाद से काफी प्रभावित थे। कहा जाता है उनके साथ 9 अगस्त 1925 में उन्होंने क्रांतिकारियों के साथ लखनऊ के निकट काकोरी में ट्रेन को रास्ते में रोककर खजाना लूटने में योगदान दिया था। इस कार्य के बाद रामस्वरूप स्वतंत्रता सेनानियों के लीडर के रूप में जाने जाने लगे थे। उनके नेतृत्व में 20 अक्टूबर 1942 को ग्राम खांडेपुर में मंडल के प्रमुख आंदोलनकारियों की कांफ्रेंस हुई थी। इसमें महात्मा गांधी समेत कई बड़े नेता शामिल हुए थे। अंग्रेज हुक्मरानों को जब बाद में इसकी जानकारी हुई तो स्वतंत्रता सेनानियों की धर पकड़ हुई। अंग्रेजों के जुल्म की परवाह किए बिना गांव के रणबांकुरे आंदोलन की लड़ाई में आगे बढ़ते रहे। इस गांव को देवहा नदी से होने वाले कटान को रोकने के लिए भी अभी तक मुकम्मल व्यवस्था नहीं हो सकी। महाशय रामस्वरूप के पौत्र शरद पाल सिंह ने बताते हैं कि तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं मौजूदा केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह वर्ष 1997 में गांव आए थे। उन्होंने स्मारक बनवाने की घोषणा की थी परंतु अभी तक यह कार्य हुआ है। उन्होंने जिलाधिकारी को दो दिन पूर्व ही गांधी चबूतरे का फोटो, स्वतंत्रता सेनानियों के नाम व संबंधित अभिलेख दिए हैं। साथ ही गांव में सुविधाएं बढ़ाने के लिए भी अनुरोध किया है। बहरहाल गांव विकास से पूरी तरह से अछूता है। गांव के अधिकांश मार्ग बदहाल है।

इनसेट

यह थे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी

महाशय रामस्वरूप स्वतंत्रता सेनानियों के मंडल लीडर छोटेलाल, छेदा लाल, शिवचरण लाल, प्यारेलाल, सत्यदेव, बांधू लाल, नत्थू लाल, रामचरण लाल, बालकराम, सुमेंर लाल, बद्री प्रसाद, रघुनंदन प्रसाद, रामलाल, ख्यालीराम, जगदीश प्रसाद, अयोध्या प्रसाद समेत 23 ग्रामीण शामिल थे। फोटो 17 बीएसएलपी 5

स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम से स्मारक बनाने की मांग पिछले कई वर्षों से शासन व प्रशासन से करते आ रहे हैं गांव में पशु चिकित्सालय न होने से काफी परेशानी हो रही है। नदी के कटान से गांव का अस्तित्व खतरे में है।

शरद पाल सिंह

फोटो 17 बी एस एल पी 6

गांव के अधिकांश मार्ग कच्चे हैं बरसात के मौसम में कच्ची मार्गों पर पानी भर जाने से आने जाने में काफी परेशानी हो रही है प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।

नन्हे सिंह

फोटो 17 बी एस एल पी 7

गांव के रणबांकुरे ने देश की आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों से लोहा लेकर गांव का नाम रोशन किया था। सरकार गांव के विकास की ओर ध्यान नहीं दे रही है।

मंगली प्रसाद

ग्राम खंडेपुर 23 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का गांव है इसकी हमें जानकारी नहीं है। गांव की जो भी समस्याएं हैं उनका निस्तारण कराने का पूरा प्रयास करेंगे ग्रामीणों द्वारा यहां स्मारक बनाने की मांग की जा रही है तो जिलाधिकारी को अवगत कराएंगे।

-चंद्रभानु सिह, उपजिलाधिकारी


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