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भारतीय संस्कृति की उपेक्षा से विकृत हो रहा समाज

चित्रकूट धाम से पधारे कथावाचक जगतगुरु योगानंद रामकृष्ण दास वेदांती ने कहा कि भारतीय संस्कृति की उपेक्षा कर पाश्चात्य संस्कृति को अपनाने से परिवार टूट रहे हैं। समाज में विकृतियां फैल रही हैं। लोगों के चेहरों से मुस्कान दूर होती जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 12:04 AM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 12:04 AM (IST)
भारतीय संस्कृति की उपेक्षा से विकृत हो रहा समाज
भारतीय संस्कृति की उपेक्षा से विकृत हो रहा समाज

पीलीभीत,जेएनएन : चित्रकूट धाम से पधारे कथावाचक जगतगुरु योगानंद रामकृष्ण दास वेदांती ने कहा कि भारतीय संस्कृति की उपेक्षा कर पाश्चात्य संस्कृति को अपनाने से परिवार टूट रहे हैं। समाज में विकृतियां फैल रही हैं। लोगों के चेहरों से मुस्कान दूर होती जा रही है।

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कथावाचक नगर के बीसलपुर पीलीभीत मार्ग स्थित बालाजी मणि परिसर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दौरान वार्ता कर रहे थे। भारतीय संस्कृति की उपेक्षा पर पूछे गए प्रश्न पर बताया कि पूरी दुनिया में भारत की संस्कृति सबसे श्रेष्ठ है यह देश ऋषि-मुनियों का देश है जिसमें स्वयं भगवान कभी राम व कवि कृष्ण समेत कई रूपों में अवतार लेकर पावन धरती को सुशोभित कर चुके हैं। ऐसे पावन देश में जन्म पाकर हर भारतीय अपने आपको गौरवान्वित महसूस करता है परंतु दुख इस बात का है लोग भारतीय संस्कृति से विमुख होकर पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहे हैं। खानपान में बदलाव होने से लोग तमाम प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं।

बच्चों को अच्छे संस्कार नहीं मिल पा रहे हैं। वे भारतीय ग्रंथों से पूरी तरह से अनभिज्ञ हैं मोबाइल चलाने तक ही सीमित होते जा रहे हैं। हमें घरों पर बच्चों को बैठाकर रामायण, गीता श्रीमद् भागवत कथा व अन्य धार्मिक ग्रंथ का ज्ञान उन्हें देना चाहिए जिससे वह अपने धर्म के प्रति निष्ठावान होकर उसे अपनाने में संकोच न करें। बच्चों को अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ाने के बजाय भारतीय स्कूलों में पढ़ा कर उनके भविष्य को संवारे। उन्होंने खेद जताते हुए बताया कि संस्कृत के विद्वान भी अपने बच्चों को संस्कृत भाषा में पढ़ाना नहीं चाहते हैं बल्कि उन्हें विदेशी भाषा पढ़ा रहे इसीलिए समस्त भाषाओं की जननी संस्कृत भाषा अपने देश में उपेक्षित होती जा रही है यह चितनीय विषय है सभी को ²ढ़ संकल्पित होकर इस दिशा में कार्य करना होगा तभी हम अपने धर्म वह समाज की रक्षा कर पाएंगे।

प्रेम विवाह के सवाल पर कहा कि प्रेम विवाह कभी भी सफल नहीं होते हैं। विवाह मात्र वरमाला तक ही सीमित होकर रह गए हैं। कुल व गोत्र को ध्यान में रखकर विवाह न होने से वर्णसंकर बढ़ रहे हैं। उन्होंने बच्चों में संस्कारों का अभाव होने के लिए अभिभावकों को ही दोषी बताते हुए कहा कि बच्चों को शुरू से ही अच्छे संस्कार देना चाहिए विशेषकर बच्चियों को भारतीय वेशभूषा के वस्त्र पहनने व मोबाइल पर बात करने की इजाजत नही देने के लिए जागरूक होना चाहिए।

महाभारत ग्रंथ को घरों में रखने से कलह व लड़ाई होने की भ्रांति का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि शास्त्रों में इसका कहीं भी प्रमाण नहीं मिलता है इस ग्रंथ को लोग घरों में रखकर अध्ययन कर सकते हैं।

मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य भगवान की भक्ति कर अपने धर्म पर चलते हुए दुखों से निवृत्ति व सुखों को प्राप्त करना है। सभी सुख व प्रसन्न रहें इसके लिए भगवान की भक्ति आवश्यक है जो भी प्राणी प्रभु की भक्ति करता है वह दुष्कर्मों से दूर रहता है। भारतीय संस्कृति को अपनाना ही मानव धर्म है अपने धर्म से विमुख होने वाले को इस धरती पर सुख-शांति की प्राप्ति नहीं हो पाएगी। बीमारियों से मुक्ति पाने के लिए घरों में गाय पाले। वह भी देसी गाय हो उस की सेवा करने से सारे कष्ट और रोग दूर हो जाते हैं घरों में सुख शांति समृद्धि वैभव बना रहता है।


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