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किसी ने लगाया फलों का ठेला तो कोई घर बैठा

प्रवासी श्रमिक अन्य प्रांतों में मेहनत मजदूरी करने के लिए गए थे लेकिन कोरोना वायरस के कारण लाकडाउन हो जाने पर श्रमिकों को काम नहीं मिल पाया। जैसे तैसे श्रमिक काम न मिल पाने के अभाव में घर वापसी करने की बाट जोह रहे थे लेकिन प्रतिबंध के कारण घर वापसी संभव नहीं हो पाई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 May 2020 10:36 PM (IST)Updated: Thu, 28 May 2020 10:36 PM (IST)
किसी ने लगाया फलों का ठेला तो कोई घर बैठा
किसी ने लगाया फलों का ठेला तो कोई घर बैठा

जेएनएन, घुंघचाई (पीलीभीत): प्रवासी श्रमिक अन्य प्रांतों में मेहनत मजदूरी करने के लिए गए थे लेकिन कोरोना वायरस के कारण लाकडाउन हो जाने पर श्रमिकों को काम नहीं मिल पाया। जैसे तैसे श्रमिक काम न मिल पाने के अभाव में घर वापसी करने की बाट जोह रहे थे लेकिन प्रतिबंध के कारण घर वापसी संभव नहीं हो पाई। प्रवासी मजदूर अलग अलग जगहों से पैदल चले और रास्ते में प्रशासन के द्वारा लगाए गए शिविरों में भोजन मिलने पर अपना गुजर बसर कर रहे वापस लौटे। गांव में भी खेती किसानी में इस समय काम नहीं है। इससे खाली बैठे हुए हैं। कुछ मजदूर रेडी, ठेली से फल और सब्जियां बेचने के नए कारोबार से जुड़ गए हैं। श्रमिक जिस काम में महारत रखते थे अब वह काम गांव में न मिल पाने से दूसरे कामों से परिवार के भरण पोषण के लिए करने को जुटे हैं। हरियाणा की रेवड़ी में सरसों कटाई के काम के लिए गया था लेकिन लाक डाउन हो जाने के बाद काम खत्म हो गया और खाली बैठने पर जो कुछ मेहनत मजदूरी की थी वह धीरे धीरे खत्म होने लगी। गांव जैसे तैसे वापस आ पाया हूं। भूमिहीन हूं और गांव में कोई अन्य काम भी नहीं मिल पा रहा है।

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बादाम सिंह

हरियाणा के बहादुरगढ़ में गन्ना छिलाई के काम के लिए गांव के लोगों के साथ गया था। वहां जाकर बुरी तरीके से फंस गया। आने के लिए भी काफी दूर तक पैदल चलना पड़ा। कुछ दिन तक जिसके यहां काम करता था वह भोजन कराता रहा लेकिन उसने भी हाथ खींच लिए। साइकिल मिस्त्री का कार्य करता था।

राजेश सक्सेना

मैंने ऐसा दौर पहली बार देखा। पहले काम करने के लिए जाता था और मेहनत का रुपया भी मिल जाता था लेकिन इस बार मालिक ने भी हम लोगों को रोकने के लिए हिसाब होने के बावजूद पैसा नहीं दिया। कई किलोमीटर पैदल चला हूं। फिर प्रशासन की बस से बरेली तक पहुंचा। अब गांव में ही मजदूरी कर लूंगा लेकिन बाहर नहीं जाऊंगा।

सियाराम

हरियाणा के झज्जर जिले के सुभानपुर गांव में मजदूरी करने गांव के लोगों के साथ गया था। काम छूट गया तो हम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। अब गांव में मजदूरी का कार्य कर रहा हूं।

परमजीत


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