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पृथ्वी के लिए इंसान-वन्यजीव दोनों जरूरी

पृथ्वी के लिए जितना जरूरी इंसान है उतना ही वन्यजीव।

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Sep 2019 12:16 AM (IST)Updated: Mon, 23 Sep 2019 06:24 AM (IST)
पृथ्वी के लिए इंसान-वन्यजीव दोनों जरूरी
पृथ्वी के लिए इंसान-वन्यजीव दोनों जरूरी

जागरण संवाददाता, पीलीभीत : पृथ्वी के लिए जितना जरूरी इंसान है उतना ही वन्यजीव। वर्तमान में वन्यजीव की कई प्रजातियां विलुप्त हो चुकी है। वहीं, मानव-वन्य जीव संघर्ष बढ़ता जा रहा है। इसे कम करने के लिए जंगल किनारे गांवों के खेतों में तार फेंसिग कराई जाए। टाइगर रिजर्व की ओर से भी संवेदनशील स्थानों पर सोलर फेंसिग का कार्य किया जा रहा है। ये बातें पीलीभीत टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर डॉ. एच राजामोहन ने कहीं। वह रविवार को टनकपुर हाईवे स्थित बरातघर में डब्ल्यूटीआइ की ओर से मानव-वन्यजीव संघर्ष कारण एवं निवारण विषय पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।

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कार्यशाला में विशेषज्ञों ने बताया कि मानव-वन्यजीव संघर्ष का मुख्य कारण शाकाहारी जीवों का जंगल से निकलकर खेतों की ओर जाना। इनके पीछे मांसाहारी जीव आबादी की ओर चले आते हैं। इससे आए दिन मानव-वन्यजीव संघर्ष होता रहता है। ग्रामीणों को चाहिए कि वह अपने खेतों में जंगल की ओर वाली मेड़ पर सुविधानुसार कपड़ा या तार की फेंसिंग करें। विभाग भी अलग-अलग जगह पर फेंसिंग करा रहा है। कई देशों में विलुप्त हो चुके हैं बाघ

पीटीआर के फील्ड डायरेक्टर ने कहा कि वन्य जीव की सबसे खूबसूरत प्रजाति बाघ, विश्व के कई देशों से विलुप्त हो चुकी है। भारत में कठिन प्रयासों से बाघों की संख्या में इजाफा हो रहा है। उन्होंने कहा कि कोई वन्य जीव जंगल से बाहर निकले तो जागरूक ग्रामीण वन विभाग को इसकी जानकारी दें। जिससे वन्य जीव का रेस्क्यू करने आसानी हो। वन जीवन से बनाएं दूरी

डब्ल्यूटीआइ के डॉ. दक्ष गंगवार ने कहा कि ग्रामीण वन जीवन से दूरी बनाकर रखें। क्योंकि अगर मानव-वन्यजीव संघर्ष में घायल हुआ तो वन्य जीव के नाखून और बाल में काफी बैक्टीरिया पाए जाते हैं। जिससे कई घातक बीमारी घायल इंसान को हो सकती है।


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