कागजों में दूर हो रहा बच्चों का कुपोषण
बाल विकास पुष्टाहार विभाग बच्चों का विकास नहीं करने में नाकाम साबित हो रहा है।
पूरनपुर (पीलीभीत) : बाल विकास पुष्टाहार विभाग बच्चों का विकास नहीं करने में नाकाम साबित हो रहा है। गत वर्षो की अपेक्षा इस बार केंद्रों पर बच्चों की संख्या घट गई है। योजना दर योजना चलाए जाने के बाद भी बच्चों के स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्रों को भवन न मिल पाने से वह घरों में संचालित किए जा रहे हैं।
नगर व देहात में 523 आंगनबाड़ी केंद्र है। 492 मुख्य और 31 मिनी केंद्र मौजूद हैं। अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्र बंद रहते हैं, इसकी पुष्टि समय समय पर अधिकारियों के निरीक्षण में होती रहती हैं जो कारण बताओ नोटिस की कार्रवाई तक सिमट जाती है। केंद्रों के बंद रहने से शासन की ओर से चलाई जाने वाली योजनाएं भी सिर्फ कागजों में संचालित हो पाती हैं। इस समय बच्चों का कुपोषण दूर करने के लिए सिर्फ पोषाहार योजना संचालित है। अतिशीघ्र शुरू हाने वाली शबरी योजना भी लंबित है। इस हीलाहवाली के चलते बच्चों का कुपोषण दूर नहीं हो पा रहा है। सफलता न मिलने पर विभाग स्वास्थ्य विभाग से सहारा लेकर एएएनएम केंद्रों पर प्रत्येक महीने के बुधवार को सुपोषण मेला का आयोजन किया जा रहा है। एक सितंबर से राष्ट्रीय सुपोषण सप्ताह भी मनाया जा रहा है। लापरवाही और उदासीनता से शासन की ओर से योजनाओं के नाम पर करोड़ों रुपये बहाए जाने के बावजूद मंशा पूरी होती नजर नहीं आ रही है। पोषाहार आवंटन छिनने के बाद विभाग और भी लापरवाह हो गया।
इंसेट- फैक्ट फाइल
1-कार्यरत कार्यकत्री- 467
2-सहायिकाएं -456
3- कुल भवन -162
4- घरों व स्कूलों में संचालित- 361
5- कुल कुपोषित बच्चे- 7497
6- अतिकुपोषित बच्चे- 4236
7- कार्यालय पर तैनात सुपरवाइजर- 5 गांव में कई आंगनबाड़ी केंद्र है इसमें गांव के पूरब में बना केंद्र हमेशा बंद रहता है। इससे इस क्षेत्र के बच्चों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। केंद्र का निरीक्षण समय समय पर किया जाए तो लापरवाही दूर हो सकती है।
सचिन, शिवनगर बाल विकास पुष्टाहार विभाग अभी तक किसी भी योजना का लाभ लाभार्थियों को नहीं मिला है। खानापूर्ति के लिए केंद्र खोल दिए जाते हैं जो कुछ देर बाद ही बंद हो जाते हैं। योजनाएं फलीभूत नहीं हो पा रही हैं।
रजिस्टर ¨सह, लालपुर आंगनबाड़ी केंद्र समय से पहले ही बंद हो जाते हैं। शासन की ओर से संचालित की जाने वाली योजनाओं में कार्यकत्री रुचि नहीं लेती हैं जिससे गर्भवती महिलाओं और किशोरियों को भी लाभ नहीं मिल पाता है। जागरूकता कार्यक्रम न किए जाने से लोगों को योजनाओं की जानकारी तक नहीं लग पाती है।
प्रशांत शर्मा, घुंघचाई