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कच्चा धागा न मिलने से धंधा बंद होने के कगार पर

कोविड-19 महामारी के बढ़ रहे प्रकोप से बुनकरों का धंधा भी काफी प्रभावित हुआ है। धागा तैयार करने वाली फैक्ट्रियां बंद हो जाने के कारण उन्हें माल तैयार करने के लिए कच्चा धागा नहीं मिल पा रहा है। जिससे धंधा बंद होने के कगार पर हैं। माल तैयार करने के ऑर्डर मिलने बंद हो गए हैं। जिससे बुनकरों के परिवारों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Jun 2020 11:03 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jun 2020 11:03 PM (IST)
कच्चा धागा न मिलने से धंधा बंद होने के कगार पर
कच्चा धागा न मिलने से धंधा बंद होने के कगार पर

जेएनएन,बीसलपुर (पीलीभीत) : कोविड-19 महामारी के बढ़ रहे प्रकोप से बुनकरों का धंधा भी काफी प्रभावित हुआ है। धागा तैयार करने वाली फैक्ट्रियां बंद हो जाने के कारण उन्हें माल तैयार करने के लिए कच्चा धागा नहीं मिल पा रहा है। जिससे धंधा बंद होने के कगार पर हैं। माल तैयार करने के ऑर्डर मिलने बंद हो गए हैं। जिससे बुनकरों के परिवारों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।

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बीसलपुर तहसील क्षेत्र के ग्राम मुसेली, मीरपुर वाहनपुर, महादेवा, रसिया खानपुर समेत एक दर्जन से अधिक गांवों में रहने वाले कई परिवार पिछले कई वर्षों से कच्चे धागे से फर्श की दरी पूजा करने की दरी तैयार कर अपने परिवार का गुजारा कर रहे हैं। बरेली के व्यापारी ऑर्डर मिलने पर इन बुनकरों को कच्चा धागा उपलब्ध कराकर दरिया तैयार कराते हैं। एक बुनकर एक दिन में 20 से 25 गज तक दरी को बनाने का कार्य कर लेता है। एक गज माल तैयार होने पर 12 रुपये की मजदूरी मिलती है। औसतन 1 दिन में 200 से 300 तक की कमाई बुनकर कर लेते हैं। गांव में ही माल तैयार कर उनके परिवारों का गुजारा हो रहा है। परंतु कोविड-19 संक्रमण का प्रकोप बढ़ने के कारण पिछले हैं 3 महीनों से इस धंधे पर ग्रहण लगा हुआ है। लॉकडाउन के चलते बुनकरों को घरों पर ही बैठना पड़ा उन्होंने गेहूं की कटाई कर बमुश्किल अपना गुजारा किया। अनलॉक वन होने पर कुछ राहत मिली परंतु अब कच्चा धागा ना मिलने तथा माल तैयार करने के आर्डर ना होने से बुनकरों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। पूर्व में ही जो उन के पास कच्चा धागा रखा था उसी से माल तैयार कर रहे हैं परंतु शीघ्र ही उनका कच्चा धागा समाप्त हो जाएगा जिससे उन्हें पुन: अपना धंधा बंद करना होगा।

बुनकरों का कहना है कि कच्चा धागा तैयार करने वाली फैक्ट्रियां अभी बंद है इसीलिए कच्चा धागा तैयार नहीं हो पा रहा है। आर्थिक तंगी से जूझ रहे बुनकरों की समस्याओं की ओर शासन व प्रशासनिक स्तर से कोई भी प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। जिस स्थान पर बुनकर अड्डा बना कर कार्य करते हैं वहां ना तो बिजली है और ना ही हवा आने का उचित स्थान है टीन डालकर अड्डे बना लिए हैं।प्रचंड गर्मी में यहां कार्य करने में काफी परेशानी होती है। बुनकरों को शासन की लाभकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। प्रधानमंत्री आवास से भी बुनकर वंचित हैं। पुराने मकानों में ही परिवार के साथ गुजारा करना पड़ रहा है। सरकार की ओर से बुनकरों को कार्य करने के लिए गांव में ही ना तो कच्चा माल उपलब्ध कराया जा रहा है और न ही उन्हें स्वावलंबी बनाने के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं जिससे बुनकर आर्थिक तंगी से जूझ रहे उनके घरों के चूल्हे मुश्किल से जल रहे हैं। गरीब होने के कारण अपने बच्चों को स्कूलों में अच्छी शिक्षा नहीं दिला पा रहे हैं गांव स्थित प्राइमरी विद्यालय में बच्चों को पढ़ाने के बाद उन्हें घर पर ही बैठा लेते हैं। परिवार की महिलाओं को भी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। पिछले 25 वर्षों से दरियों की बुनाई कर परिवार का गुजारा कर रहे हैं कोरोना के संक्रमण पहले से उनके धंधे पर बुरा प्रभाव पड़ा है। 3 महीनों तक काम बंद रहा खेतों में मजदूरी कर मुश्किल से परिवार का भरण पोषण किया कच्चा माल ना मिलने से अपना धंधा बंद होने के कगार पर है। महंगाई में इस धंधे से गुजारा नहीं हो पा रहा है।

बशीरुद्दीन इस धंधे से परिवार का भरण पोषण बहुत मुश्किल से हो रहा है पिछले 4 महीनों से धंधा काफी प्रभावित बना हुआ है। कोविड-19 महामारी के प्रकोप के चलते कच्चा धागा तैयार करने वाली फैक्ट्रियां बंद हो जाने से मुश्किलें बढ़ गई हैं। आर्डर कब मिल रहे हैं। जिससे परिवार के सामने आर्थिक तंगी बढ़ती जा रही है।

भूरे खां पिछले 5 वर्षों से दरी बुनकर परिवार का भरण पोषण कर रहा हूं इस समय कोरोना संक्रमण के प्रकोप से काम काफी कम हो गया है। ठेकेदार को नए आर्डर नहीं मिल रहे हैं जिससे हमें भी कम काम ही मिल रहा है। परिवार के सामने आर्थिक तंगी बनी हुई है।

हजरत नूर पिछले 3 महीनों से दरी बुनाई का धंधा मंदी से जूझ रहा है न तो नए ऑर्डर मिल रहे हैं और न ही माल तैयार करने के लिए कच्चा धागा उपलब्ध हो पा रहा है जिससे परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। सरकार द्वारा इस दिशा में प्रभावी कदम उठाए जाएं जिससे बुनकर परेशानियों से बच सकें।

सोहेल अनवर


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