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बाघ की चहलकदमी से तेंदुआ गायब

अमरिया तहसील क्षेत्र के डूनीडाम के आसपास ग्रामीण इलाके में लंबे समय से दहशत का पर्याय बने बाघों की चहलकदमी से हर समय भय का माहौल बना रहता है। आएदिन कहीं न कहीं जंगली जानवरों के पगचिन्ह मिलते हैं जिससे खेती के काम प्रभावित रहते हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 11:13 PM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 11:13 PM (IST)
बाघ की चहलकदमी से तेंदुआ गायब
बाघ की चहलकदमी से तेंदुआ गायब

पीलीभीत,जेएनएन : अमरिया तहसील क्षेत्र के डूनीडाम के आसपास ग्रामीण इलाके में लंबे समय से दहशत का पर्याय बने बाघों की चहलकदमी से हर समय भय का माहौल बना रहता है। आएदिन कहीं न कहीं जंगली जानवरों के पगचिन्ह मिलते हैं, जिससे खेती के काम प्रभावित रहते हैं। लगभग एक दशक से जंगल से निकलकर बाघों ने डूनीडाम देवहा नदी किनारे ठिकाना बना रखा है। शिकार की तलाश में आबादी तक जंगली जानवरों का मूवमेंट बना रहता है। हालांकि वन विभाग द्वारा जंगली जानवरों के लिए निगरानी टीम मानीटिरिग में लगी रहती है। दो दिन से गजरौला क्षेत्र में बाघों का मूवमेंट मिल रहा है। वन कर्मी ग्रामीणों को सतर्क कर लोकेशन ट्रेस करने में लगे हुए हैं। जंगल से निकलकर तेंदुए ने भी उपस्थित दर्ज करा रखी है। अधिकांश समय सूरजपुर के आसपास पैरी फार्म श्मशान घाट तक तेंदुआ की लोकेशन रहती है। ग्रामीणों की मांग पर विभाग द्वारा पिजरे लगाये गये हैं, लेकिन तेंदुए का मूवमेंट बदल गया पिछले दो दिनों से कोई मूवमेंट नहीं मिल रहा है। बाघों की चहलकदमी जारी है। किसानी के काम समय पर नहीं हो रहा है, जिससे तरबूज की खेती प्रभावित हो रही है।

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लगभग एक दशक से जंगली जानवर क्षेत्र में प्रवास किये हुए हैं। आए दिन मूवमेंट बना रहता है। खौफ के साए में खेतों पर काम करना पड़ता है। कोई उपाय नहीं हो रहे हैं।

गौड़ चंद

कभी तेंदुआ कभी बाघ आम हो गये हैं। कहीं न कहीं पगचिन्ह मिलते रहते हैं। वन कर्मी पगचिन्ह ट्रेस कर चले जाते हैं। देर सबेर निकलने में खौफ लगता है।

नरेंद्र सिंह

देवहा नदी किनारे आसपास बाघों की चहलकदमी रहती है। इस समय तरबूज आदि की खेती का काम चल रहा है। शाम होते ही काम छोड़कर वापस घर चले जाते हैं।

गौरंग मंडल


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