भूमि का मालिकाना हक दिलाने के लिए सर्वे शुरू
विस्थापित परिवारों को कई दशक बीतने के बाद जमीन का अभी तक मालिकाना हक नहीं मिल पाया है। ऐसे लोगों को मालिकाना हक दिलाने के लिए शासन के निर्देश पर राजस्व वन सिचाई विभाग की संयुक्त टीमों ने सर्वे शुरू कर दिया है।
पीलीभीत,जेएनएन : विस्थापित परिवारों को कई दशक बीतने के बाद जमीन का अभी तक मालिकाना हक नहीं मिल पाया है। ऐसे लोगों को मालिकाना हक दिलाने के लिए शासन के निर्देश पर राजस्व, वन, सिचाई विभाग की संयुक्त टीमों ने सर्वे शुरू कर दिया है। फारेस्ट और सिंचाई विभाग बिना अभिलेख रिकार्ड के ही विस्थापितों के कब्जे वाली कई स्थानों की जमीनों पर अपना दावा जता रहे हैं।
कलीनगर तहसील क्षेत्र में नेपाल की सीमा से सटे गांव नौजलिया नकटहा, बंदरभोज, बूंदीभूड़, भूडागोरख डिब्बी, ढकिया तालुके महाराजपुर, मटैया लालपुर, रमनगरा, मटैया लालपुर, सेल्हा समेत तराई के कुछ अन्य ग्रामों रहने वाले परिवारों का टीमों ने सर्वे शुरू किया है। इन ग्रामों में बड़ी संख्या मे वर्षों से विस्थापित परिवार बसे हैं। वन विभाग तथा सिंचाई विभाग इन लोगों के कब्जा वाली जमीन पर अपना दावा करते हैं। करीब ढाई दशक पहले लग्गाभग्गा क्षेत्र में रहने वाले धारू जनजाति के परिवार को वन विभाग ने उजाड़ते हुए जमीन से बेदखल कर दिया था। शासन ने ऐसे लोगों को जमीन के मालिकाना हक दिलाने के लिए मंडलायुक्त की अध्यक्षता में कमेटी गठित की है। यह कमेटी शासन को अपनी रिपोर्ट भेजेगी कि इन लोगों को जमीन का मालिकाना हक दिया जा सकता है अथवा नहीं। तहसीलदार राकेश मौर्य का कहना है कि फारेस्ट और सिंचाई विभाग का सहयोग नहीं मिल रहा है। कानूनगो दीनदयाल ने तहसीलदार को बताया कि फारेस्ट, सिंचाई विभाग वाले बिना अभिलेख ही कई जमीन को अपना बताते हैं।