कोरोना काल में खाकी ने भरे कर्तव्य के रंग
पिछले साल विशेष तौर पर 22 मार्च से लेकर
पीलीभीत,जेएनएन : पिछले साल विशेष तौर पर 22 मार्च से लेकर 8 जून तक का समय कोई कैसे भूल सकता है, जब कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी के कारण तराई के इस जिलेवासियों का पहली बार लॉकडाउन से सामना हुआ। सब कुछ बंद था। सड़कों, मुहल्लों की गलियों में पुलिस के अफसरों और जवानों का भ्रमण लोग अपने मकानों की बालकनी से देखते थे। सभी को आश्चर्य हो रहा था कि हमेशा लोगों पर रौब दिखाने वाले पुलिस के अफसर और कर्मचारी किस तरह से एकाएक सेवादार बन गए। हर जरूरतमंद की सहायता करना, भूखों को भोजन कराना, बीमारों के लिए दवा का इंतजाम करना, खुद भागदौड़ करते हुए आम लोगों से अपने घरों से बाहर नहीं निकलने की गुजारिश करना तो जैसे पुलिस की दिनचर्या बन गई थी। कमोवेश यही स्थिति बेजुबानों के प्रति भी देखी गई। जब पुलिस ने गोवंशीय पशुओं को गोशाला में पहुंचाने की मुहिम चलाई। पुलिस कर्मियों को न तो ड्यूटी के घंटे याद आए और न ही अपनी भूख-प्यास। उन्हें तो अपने अधिकारियों के दिशा निर्देशन में काम करते हुए सिर्फ यह फिक्र लगी रहती थी, कैसे आम जनता को कोरोना जैसी महामारी की चपेट में आने से बचाए रखना है। लोगों को मास्क की कमी न पड़े, इसके लिए निवर्तमान पुलिस अधीक्षक अभिषेक दीक्षित ने पुलिस लाइन में ही महिला कांस्टेबिलों से मास्क तैयार कराने शुरू करा दिए। नई भर्ती की कई महिला कांस्टेबिलों का सेवा भाव भी देखते ही बन रहा था। कई महिला पुलिस कर्मियों ने तो अपनी शादी की तारीख यह कहते हुए परिजनों से बढ़वा दी कि कोरोना काल में उनके लिए कर्तव्य पहले हैं। लोग रोज ही देखते थे कि किस तरह विभिन्न राज्यों से प्रवासी श्रमिकों, कामगारों के लौटने का क्रम जारी है। पुलिस वाले उन प्रवासी श्रमिकों को न ऐसे भोजन करा रहे थे, जैसे वे उनके अपने हों। सड़कों के किनारे किसी भिखारी को बैठे देखते तो तुरंत भोजन का पैकेट लेकर पुलिस कर्मचारी उसके पास जा पहुंचे। भोजन कराने के साथ ही पानी लेने के लिए खुद ही दौड़ पड़ते। लॉकडाउन में सब कुछ बंद रहन के कारण अपराध भी थम गए। ऐसे में डायल 112 की गाड़ियां भी जनसेवा कार्य में जुटी रहीं। कहीं से सूचना मिलती कि मरीज को दवा चाहिए तो पुलिस कर्मी मोबाइल पर बताए गए स्थान पर पहुंचकर मरीज के तीमारदार से दवा का पर्चा प्राप्त करके मेडिकल स्टोर से दवाइयां खरीदकर तत्परता से पहुंचाने का काम करते दिखे। जब कहीं कोई कोरोना संक्रमित मिलने की बात स्पष्ट होती तो स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पुलिस के अधिकारी एवं कर्मचारी साथ जाते। संक्रमित को कोविड अस्पताल पहुंचाने की जिम्मेदारी निभाते। बगैर इस बात की चिता किए कि वे स्वयं भी संक्रमित हो सकते हैं। ऐसा हुआ भी, पुलिस लाइन से लेकर विभिन्न थानों, चौकियों के दर्जनों पुलिस कर्मचारी इस दौरान कोरोना से संक्रमित हुए। आइसोलेशन में जाकर स्वस्थ होने के बाद वे भी अपने कर्तव्य पथ पर आते रहे। इस बीच पुलिस के अफसर बदल गए। नए एसपी जय प्रकाश ने भी आते ही कोरोना से जंग को वरीयता देते हुए पुलिस कर्मियों को निर्देशित किया। साथ ही खुद भी कमान संभाली।