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घायलावस्था में बटालिक चोटी पर फहराया था तिरंगा

कारगिल युद्ध में दुर्गम चोटी पर घुसपैठ कर बैठे दुश्मनों को खदेड़ने के साथ ही उस चोटी पर विजय पताका लहरा दी गई थी। इस दौरान कई वीर सैनिकों को शहादत भी देनी पड़ी। गोली लगने से घायल होने के बाद भी जवान लड़ते रहे। इसके चलते दुश्मन सामना नहीं कर सके। जवान के शौर्य और पराक्रम की आज भी लोग प्रशंसा करते हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 26 Jul 2020 10:56 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jul 2020 10:56 PM (IST)
घायलावस्था में बटालिक चोटी पर फहराया था तिरंगा
घायलावस्था में बटालिक चोटी पर फहराया था तिरंगा

पीलीभीत,जेएनएन : कारगिल युद्ध में दुर्गम चोटी पर घुसपैठ कर बैठे दुश्मनों को खदेड़ने के साथ ही उस चोटी पर विजय पताका लहरा दी गई थी। इस दौरान कई वीर सैनिकों को शहादत भी देनी पड़ी। गोली लगने से घायल होने के बाद भी जवान लड़ते रहे। इसके चलते दुश्मन सामना नहीं कर सके। जवान के शौर्य और पराक्रम की आज भी लोग प्रशंसा करते हैं।

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पूरनपुर कोतवाली क्षेत्र के गांव घुंघचाई के किनारे हरदोई ब्रांच नहर की पश्चिमी पटरी पर पीलीभीत टाइगर रिजर्व के किनारे पूर्वांचल के लोगों की 11 कॉलोनियां बसी हैं। इस कॉलोनी के निवासी नायब सूबेदार शिवानंद यादव फाइव पैरा बटालियन हिमांचल प्रदेश में चीन के बार्डर पर वर्तमान में तैनात हैं। वह बताते हैं कि कारगिल युद्ध के दौरान उन्हें टास्क दिया गया कि वह बटालिक चोटी को खाली कराएं जहां पर घुसपैठिए काफी ऊंचाई पर बैठे थे। शिवानंद यादव बटालियन के अन्य साथियों के साथ रात में बटालिक चोटी की चढ़ने लगे। सुबह होते ही बरसात के साथ उनका सामना घुसपैठियों से होने वाला था। उन्होंने बताया कि घुसपैठियों ने हमारी टुकड़ी के लोगों को देख लिया और फायर करने लगे। हम लोग पत्थरों की ओट में पोजीशन लिए बैठे रहे। फिर हम सभी ने एक साथ दुश्मन पर फायरिग करना शुरू कर दिया। इससे बड़ी तादात में घुसपैठिए मार गिराए और कुछ भाग खड़े हुए। इस दौरान कमर में एक गोली लग गई जिससे वह घायल हो गए। दूसरी गोली कनपटी को छूती हुई निकल गई लेकिन फिर भी पोजीशन संभालते हुए क घुसपैठियों को मौत की नींद सुला दिया, इसके बाद बटालिक चोटी पर तिरंगा फहराया गया। मामले की जानकारी सेना के उच्च अधिकारियों को दी गई जिस पर सभी खुश भी थे और अपने साथियों के खोने का गम भी था। वह बताते हैं कि सेना अस्पताल में जवानों के अदम्य साहस और पराक्रम के दम पर कारगिल विजय की सूचना मिली तो वह खुशी से झूम उठे थे। बेटा भाई भी है फौजी

शिवानंद यादव बताते हैं कि दुश्मन से युद्ध करने के दौरान उन्होंने पूरी जिम्मेदारी के साथ निभाया। अब उनका बेटा विकास भी सेना में है और एक भाई शशिकांत भी सेना में सीमा पर पूरी मुस्तैदी के साथ ड्यूटी कर रहे हैं। वह फाइव पैरा बटालियन में हिमांचल में पदोन्नति होने के बाद चीन सीमा पर सेवाएं दे रहे हैं।


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