पीलीभीत के 1176 कार्यकर्ता बदायूं जेल में थे बंद
वर्ष 1990 में तराई के जिले में श्रीराम मंदिर आंदोलन चरम पर रहा। दीपावली से पहले अयोध्या से चलकर आई श्रीराम अखंड ज्योति को गांव-गांव घुमाया गया। लोगों का आह्वान किया गया कि इस बार दीपावली पर अपने घरों मंदिरों प्रतिष्ठानों पर इसी अखंड ज्योति से दीप जलाएं।
पीलीभीत,जेएनएन : वर्ष 1990 में तराई के जिले में श्रीराम मंदिर आंदोलन चरम पर रहा। दीपावली से पहले अयोध्या से चलकर आई श्रीराम अखंड ज्योति को गांव-गांव घुमाया गया। लोगों का आह्वान किया गया कि इस बार दीपावली पर अपने घरों, मंदिरों, प्रतिष्ठानों पर इसी अखंड ज्योति से दीप जलाएं। दीपावली के बाद आंदोलन को और तेज करने और अयोध्या कूच का एलान कर दिया गया था। ऐसे में शासन ने सख्ती बढ़ा दी। आंदोलन से जुड़े प्रमुख लोगों की ताबड़तोड़ गिरफ्तारियां होने लगीं। जिले के 1176 कार्यकर्ताओं, कारसेवकों को गिरफ्तार करके बदायूं के जिला कारागार में निरुद्ध किया गया था।
उस दौर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जिला प्रचारक रहे दुर्गाप्रसाद बताते हैं कि उन्हें अधिक से अधिक नए लोगों को आंदोलन से जोड़ने और परदे के पीछे से काम करने के निर्देश दिए गए थे। उनका नाम और वेशभूषा भी बदलवा दी गई थी। वैसे आमतौर पर प्रचारक कुर्ता-पैजामा ही पहनने थे लेकिन पुलिस से बचाव के लिए उस दौर में उन्हें पतलून-शर्ट पहनने तथा नाम बदलकर मुकेश कुमार करने को कहा गया। उस दौर में भाजपा का संगठन काफी कमजोर हुआ करता था। बरखेड़ा में उस समय क्षेत्र पंचायत प्रमुख डॉ. परशुराम गंगवार थे। उन्हें साथ जोड़ने का प्रयास किया। वह दूरदर्शी पार्टी में थे, उन्हें विश्व हिदू परिषद का विकास खंड अध्यक्ष बनाकर आंदोलन से जोड़ा गया। इसके बाद भाजपा ज्वाइन करा दी गई। फिर डॉ. गंगवार गांव-गांव में सभाएं करते हुए राम मंदिर आंदोलन के लिए जन समर्थन जुटाने में लग गए। शहर के ही युवा नगर पालिका सभासद देशराज पटेल, उपाधि महाविद्यालय के छात्र संघ महामंत्री रहे मनमोहन सिंह को भी आंदोलन से सीधे तौर पर जोड़ा गया। इससे राम मंदिर आंदोलन व्यापक होता गया। बदायूं जेल से रिहा होकर आने पर सभी कारसेवकों तथा कार्यकर्ताओं का संतराम सरस्वती शिशु मंदिर परिसर में एकत्र करके अभिनंदन किया गया था। अगले साल यानि वर्ष 1991 में लोकसभा तथा विधानसभा चुनाव साथ साथ हुए तब राम लहर के ही कारण भाजपा ने लोकसभा के साथ उससे जुड़ी पांचों विधानसभा सीटें पहली बार जीती थीं। तब लोकसभा क्षेत्र में बहेड़ी नहीं बल्कि शाहजहांपुर का पुवायां विधानसभा क्षेत्र जुड़ा था।