रंगीन व वर्क लगी मिठाइयों को न खरीदें
(प्रश्न पहर का लोगो) - चीनी के रंगीन खिलौने से भी रखें परहेज रंगीन मिठाइयां सेहत के लिए नुकसानदेह - कोई भी खाद्य पदार्थ खुला लेने में हो सकती है मिलावट की आशंका पैक्ड माल खरीदना बेहतर - अभिहित अधिकारी शशांक त्रिपाठी ने सुधी पाठकों के सवालों के दिए जवाब फोटो-23पीआइएलपी-1
जागरण संवाददाता, पीलीभीत : त्योहारों पर खाद्य पदार्थों में मिलावट की आशंका बढ़ जाती है। कोई भी खाद्य पदार्थ खरीदते समय सावधानी बरतने की जरूरत है। दिवाली पर मिठाई खरीद रहे हैं तो इस बात का खास ध्यान रखें कि वह कलरफुल न हो। साथ ही मिठाई में जो वर्क चांदी का बताकर लगाया जाता है, वह अक्सर एल्म्यूनियम का होता है। उसकी पहचान यह है कि मिठाई में लगा वर्क थोड़ा सा लेकर चुटकी से मसलें। चांदी का है तो मसलने पर वर्क खत्म हो जाएगा लेकिन अगर वह खत्म न होकर गोली जैसा बन जाता है तो समझ लें कि एल्म्यूनियम का वर्क लगा रखा है। यह वर्क सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक है। बुधवार को दैनिक जागरण के साप्ताहिक कार्यक्रम प्रश्न पहर में टेलीफोन पर सुधी पाठकों के सवालों के जवाब देते हुए अभिहित अधिकारी शशांक त्रिपाठी ने बताया कि खुले में बिकने वाले किसी भी खाद्य या पेय पदार्थ में मिलावट की आशंका ज्यादा रहती है,जबकि पैक्ड आयटम में गुंजाइश कम रहती है। उन्होंने दूध की शुद्धता मापने का आसान तरीका भी सुझाया। दूध की कुछ बूदें किसी ढलान वाली सतह पर गिरा दें। बूंद फैलने पर सफेदी छोड़ते जाए तो समझ लें कि दूध शुद्ध है, लेकिन सफेदी न छोड़े और तेजी से फैलने लगे तो मान लें कि इसमें अधिक मात्रा में पानी का मिश्रण है। उन्होंने बताया कि त्योहारी सीजन में इस माह अब तक अभियान के तहत विभिन्न तरह के खाद्य व पेय पदार्थो के 60 प्रतिष्ठानों पर निरीक्षण किया जा चुका है। 27 प्रतिष्ठानों पर छापेमारी करके विभिन्न तरह के खाद्य पदार्थों से नमूने लेकर परीक्षण के लिए प्रयोगशाला में भिजवाए जा चुके हैं। अनियमितता पाए जाने पर 20 कारोबारियों को नोटिस जारी किए जा चुके हैं। कई प्रतिष्ठानों पर बिक्री के लिए रखे खराब किस्म के खाद्य पदार्थों को मौके पर ही नष्ट कराने की कार्रवाई हो चुकी है। दिवाली तक यह अभियान जारी रहेगा।
सवाल : नौगवां चौराहा पर ओवरब्रिज के नीचे लगने वाले ठेलों पर खुली खाद्य सामग्री बेची जा रही है। सफाई का भी समुचित ध्यान नहीं रखा जा रहा।
लाखन सिंह, नौगवां
जवाब : सभी ठेले वालों को खाद्य सामग्री ढककर रखने, कवर्ड डस्टबिन रखने के निर्देश दिए जा चुके हैं। चेकिग भी कराई जाती है। नौगवां चौराहा पर भी जल्द फिर चेकिग कराकर कार्रवाई की जाएगी।
सवाल : सड़कों के किनारे खोमचे, ठेलों पर बिकने वाली ज्यादातर सामग्री खुली रहती है। धूल भी पड़ जाती है। सेवन करने पर सेहत खराब हो सकती है। इसे रोकने के लिए क्या कार्रवाई हो रही है।
अमन सक्सेना, मुहल्ला खकरा
जवाब : समय समय पर ठेले-खोमचे वालों का भी निरीक्षण होता रहता है। इस समय भी चेकिग अभियान संचालित किया जा रहा है। ठेले वालों का भी निरीक्षण कराया जाएगा। नियमानुसार खाद्य सामग्री ढकी होनी चाहिए।
सवाल : जिन पैक्ड खाद्य सामग्री पर एफएसएसए का मार्का होता है तो क्या वे एकदम शुद्ध होती हैं। उनमें मिलावट की आशंका तो नहीं होती।
लक्ष्मीकांत शर्मा, मुहल्ला चरक का कुआं
जवाब : पैक्ड खाद्य पदार्थ पर एफएसएसए का मार्का यह दर्शाता है कि यह विभाग में पंजीकृत है। इसका लाइसेंस लिया हुआ है लेकिन इससे शुद्धता की गारंटी नहीं माना जा सकता। शुद्धता तो परीक्षण से ही तय होगी।
सवाल : चौराहों पर ठेला लगाकर फास्ट फूड बेचने वाले बेहद घटिया किस्म की सामग्री का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह ग्राहकों की सेहत से खिलवाड़ करना है।
सुरेंद्र मिश्र, छतरी चौराहा
जवाब : ऐसे दुकानदारों की भी चेकिग कराई जाती रही है। कई के खिलाफ कार्रवाई भी हुई। अब फिर इसे दिखवाया जाएगा। अगर गुणवत्ताहीन सामग्री का इस्तेमाल होता पकड़ा गया तो कार्रवाई होगी।
सवाल : मिठाइयां खरीदते समय ग्राहक को क्या क्या सावधानी बरतना चाहिए, जिससे नुकसान से बच सकें।
आजम रजा, पूरनपुर
जवाब : कलरफुल मिठाइयां बिल्कुल न खरीदें। अपनी विश्वसनीय दुकान से ही खरीदारी करें। वर्क लगी हुई मिठाई भी नहीं लेना चाहिए, क्योंकि ज्यादातर दुकानदार चांदी के बजाय एल्म्यूनियम का वर्क लगाते हैं तो सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है।