पराली जलाएं नहीं खेत की मिंट्टी में दबाने से फायदा
- धान की कटाई के बाद खेत की जुताई करके पराली को मिट्टी में दबा देने पर बन जाएगी कार्बनिक खाद - जलाने से मिट्टी में मौजूद मित्र कीट नष्ट होने के साथ ही उर्वरा शक्ति भी हो जाती है क्षीण - प्रश्न पहर में समाधान विकास समिति एवं विपिनेट क्लब के समन्वयक लक्ष्मीकांत शर्मा ने सुधी पाठकों के सवालों के दिए जवाब फोटो-9पीआइएली-1
जागरण संवाददाता, पीलीभीत : धान की कटाई के बाद खेत में पराली को जलाने से पर्यावरण तो प्रदूषित होता ही है। किसान का भी भारी नुकसान है। खेत में पराली जलाने से मिट्टी में मौजूद मित्र कीट नष्ट हो जाते हैं। साथ ही जमीन की ऊपरी सतह पर उपलब्ध उर्वरा शक्ति भी क्षीण हो जाती है। इससे अगली फसल में किसानों को ज्यादा खाद और सिचाई करनी पड़ती है। उससे फसल की लागत बढ़ जाती है। ऐसे में पराली खेत में जलाने की बजाय मिट्टी में दबा देना ही हितकर है, इससे वह पराली मिट्टी में सड़कर कार्बनिक खाद का काम करती है। जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है। बुधवार को दैनिक जागरण के साप्ताहिक कार्यक्रम प्रश्न पहर में समाधान विकास समिति एवं विपिनेट क्लब के समन्वयक लक्ष्मीकांत शर्मा ने किसानों को पराली के निस्तारण के लिए उचित तरीका अपनाने की सलाह दी। इस दौरान उन्होंने टेलीफोन पर सुधी पाठकों के सवालों के जवाब देते हुए कहा कि फसल लेने के बाद पराली को काटकर एक गड्ढे में भर दिया जाए। इसके बाद उसमें गुड़, चीनी, यूरिया, गोबर का घोल डाल दें, जिससे भी वह कार्बनिक खाद में तब्दील हो जाएगा। अगली फसल में इस कार्बनिक खाद का उपयोग किया जा सकता है। वैसे भी सुप्रीम कोर्ट की ओर से पराली जलाने पर प्रतिबंध लग चुका है। साथ ही राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने पराली जलाने पर जुर्माना की राशि तय कर दी है। निगरानी सेटेलाइट से कराने की व्यवस्था हो गई है। ऐसे में पराली न जलाना ही किसानों के लिए अच्छा है। सवाल : खेत में फसल के अवशेष जलाने लोगों के स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है, इसके बारे में बताएं।
डॉ. आदित्य पांडेय, स्टेडियम रोड
जवाब : वातावरण में कुछ भी जलाने पर कार्बन डाईआक्साइड व कार्बन मोनोआक्सायड गैस बनती है। इससे ग्लोबल वार्मिंग के साथ ही मानव स्वास्थ्य पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। फेफड़े संबंधी बीमारियां हो सकती हैं।
सवाल : तमाम किसानों के बड़े बड़े खेत हैं। धान की कटाई के बाद पराली न जलाएं तो क्या करें।
मंजीत सिंह, अध्यक्ष, कोआपरेटिव सोसायटी, रूदपुर
जवाब : इसे जलाने से जमीन की उपजाऊ शक्ति क्षीण हो जाती है। इसे खेत में ही सड़ा देना चाहिए, जिससे अगली फसल को कार्बनिक खाद मिल जाएगी।
सवाल : फसल कटाई के बाद पराली सचमुच किसानों के लिए बड़ी समस्या बन जाती है। जलाने पर प्रतिबंध है तो आखिर क्या करना चाहिए।
जोत सिंह, पूरनपुर
जवाब : पराली जलाने से मिट्टी में मौजूद मित्र कीट नष्ट हो जाते हैं। इससे आपको अगली फसल लेने के लिए सिचाई और खाद पर ज्यादा खर्च करना पड़ेगा, इसलिए पराली जलाएं नहीं बल्कि खेत की मिट्टी में दबा दें।
सवाल : धान काटने के बाद पराली का निस्तारण किस तरह से करना उचित रहेगा।
रमेश यादव, ग्राम भदारा
जवाब : सबसे उचित तरीका यही है कि पराली को खेत की मिट्टी में ही दबा दिया जाए। इससे मुफ्त में खेत को कार्बनिक खाद मिल जाती है।
सवाल : धान कटाई के बाद पराली को काटकर कहां ले जाएं। उसका निस्तारण कैसे करें।
आजम रजा, पूरनपुर
जवाब : ट्रैक्टर से हैरों चलाकर पराली को खेत में ही दबा देना चाहिए। या गड्ढे में भर दें और उसकी खाद बना सकते हैं।