लगता ही नहीं हम वीआइपी क्षेत्र वाले हैं
ात के सवा दस बज रहे हैं। मैं अपने आफिस से निकलकर यूं ही टनकपुर हाईवे से नकटादाना चौराहा की ओर चल पड़ा। रास्ते में हाईवे पर माता यशवंतरी देवी मंदिर की ओर झंडी यात्रा लेकर जा रहे भक्तों के जत्थे भजनों की धुनों पर थिरकते चल रहे हैं। बेनहर चौराहा पर जाम जैसी स्थिति है।
पीलीभीत : रात के सवा दस बज रहे हैं। मैं अपने आफिस से निकलकर यूं ही टनकपुर हाईवे से नकटादाना चौराहा की ओर चल पड़ा। रास्ते में हाईवे पर माता यशवंतरी देवी मंदिर की ओर झंडी यात्रा लेकर जा रहे भक्तों के जत्थे भजनों की धुनों पर थिरकते चल रहे हैं। बेनहर चौराहा पर जाम जैसी स्थिति है। यहां पर पहली बार इतनी रात में ट्रैफिक पुलिस के जवान मुस्तैदी से यातायात सुचारू कराते दिखे। आगे बढ़ते हुए हम नकटादाना चौराहा से खकरा रोड की ओर मुड़ गए। रास्ते में एक बरातघर के बाहर बैंड वाले और लाइट वाले अपने काम में मशगूल हैं। शायद कोई बरात उठने जा रही है। हम वहां बिना रुके आगे बढ़ते हुए बाले मियां की मजार के पास से बेलों वाला चौराहा की ओर मुड़ गए। सड़क के दोनों ओर दुकानें अभी तक खुली हुई हैं। लोगों की आवाजाही हो रही है। चौराहा पर कई रेस्टोरेंट हैं। हवा के झोके के साथ तंदूरी रोटी पकने की सोंधी महक माहौल में जैसे घुलमिल गई। बिना रूके आगे बढ़े तो देखा मुहल्ला भूरा खां में कुआं वाली गली के मुहाने पर स्थित बंद दुकानों के चबूतरे पर बैठे कुछ लोग चुनावी चर्चा करते दिखे। बाइक रोक कर हम भी जिज्ञासावश उनके बीच जा पहुंचे। मुहल्ले के ही जमशेद कह रहे थे कि हमे तो अपने जिला से मतलब है। लगता ही नहीं कि हम लोग वीआइपी क्षेत्र में रह रहे हैं। नेताओं की उपेक्षा का दर्द उनकी जुबां पर आ जाता है। बोले- न अच्छी सड़कें हैं और न ही बिजली का बेहतर इंतजाम। मोहम्मद वाहिद कहने लगे, चुनाव में नेता बड़ी बड़ी बातें करते हैं और फिर बाद में कुछ नहीं होता। समस्याएं जस की तस बनी रहती हैं। हबीब, राशिद और मुनव्वर भी उनकी बात पर सहमति जताते हैं। रात गहरा रही है, तभी फुरकान हाशमी के बच्चे घर से बाहर आकर उन्हें पुकारते हैं तो वह तुरंत चल पड़ते हैं और इसी से साथ चुनावी महफिल बंद हो जाती है।