होम्योपैथिक दवाइयों से पेड़-पौधों का इलाज
(जागरण विशेष) - होम्योपैथ चिकित्सक डॉ. विकास वर्मा ने खेती में किए अभिनव प्रयोग - फूलों के साथ हल्दी अदरक लहसुन की फसलों का ले रहे लाभ -कृषि फार्म पर अनेक तरह की फसलों का किया जा रहा उत्पादन फोटो-18पीआइएलपी-1
जागरण संवाददाता, पीलीभीत : होम्योपैथिक दवाइयां सिर्फ इंसानों की बीमारियां ही दूर नहीं करतीं बल्कि इससे पेड़-पौधों में होने वाली हर तरह की बीमारी और कीट से बचाव भी किया जाता है। होम्योपैथ चिकित्सक डॉ. विकास वर्मा ने इसे सिद्ध कर दिखाया है। चिकित्सा के पेशे के साथ ही वह प्रगतिशील किसान भी बन गए हैं। कृषि फार्म पर अनेक तरह की फसलें उगाई जा रही हैं। खास बात यह कि इन फसलों में किसी तरह की कोई बीमारी अथवा कीट नहीं लगता। ऐसे में पैदावार भी काफी अच्छी मिल रही है।
शहर के मुहल्ला खकरा के मूल निवासी डॉ. वर्मा की पत्नी डॉ. सुमन वर्मा भी होम्योपैथ चिकित्सक हैं। दोनों बरेली में होम्योपैथी क्लीनिक चलाते हैं। डॉ. वर्मा का मानना है कि होम्योपैथिक दवाइयों से जब इंसान ठीक हो सकता है तो पेड़-पौधे क्यों नहीं। कई साल पहले की बात है कि उन्होंने घर के बाहर नींबू के पेड़ लगाया लेकिन उसमें फल नहीं आए। न जाने क्या बीमारी लग गई। उन्होंने उस पेड़ का होम्योपैथिक दवाइयों से उपचार करने का उपक्रम किया। नतीजा बेहद चौंकाने वाला आया। जिस नींबू के पेड़ में पांच साल से कोई फल नहीं आया था, उस पर बहुत अच्छी फसल आई। इसके बाद उनका खेती के प्रति रुझान बढ़ गया। उन्होंने ललौरीखेड़ा विकास खंड के खमरिया पुल गांव में अपना कृषि फार्म विकसित किया। यह बात वर्ष 2015 की है। इसके बाद उन्होंने वहां आम, अमरूद, केला, पपीता के साथ ही गेंदा, गुलाब, लेमनग्रास, हल्दी, अदरक, लहसुन, प्याज, सरसों, अलसी जैसी विविधतापूर्ण फसलें करना शुरू कर दिया। उनके बाग में थाईलैंड की विशेष प्रजाति के अमरूद की फसल भी होती है। इन सभी फसलों में जब भी कोई बीमारी या कीट लगता है तो वह होम्योपैथिक दवाइयों से ही उसका उपचार कर लेते हैं। इनसेट
गेंदा नहीं आने देता अमरूद में कोई वायरस
डॉ. वर्मा का दावा है कि कुछ बीमारियों और कीटों को तो पौधे ही रोक देते हैं। गेंदा के कारण अमरूद की फसल हर तरह के वायरस से महफूज रहती है। विविधता वाले पौधों के कारण कीट प्रबंधन का कार्य स्वत: हो जाता है। वह जंगल का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि वहां सभी पेड़ पौधे चल जाते हैं। कोई कीट या बीमारी नहीं लगती। यह जैव विविधता के कारण होता है। फसलों में रसायनिक कीटनाशी का उपयोग जैव विविधता को खत्म कर रहा है। साथ ही फसलों की जो पैदावार होती है, उसमें भी कीटनाशक का जहर घुलमिल जाता है। विषाणुजनित बीमारियों को रोकने में होम्योपैथ कारगर
विभिन्न तरह की फसलों में जो विषाणुजनित बीमारियां हो जाती हैं, उनका उपचार किसी भी कीटनाशक या उर्वरक से नहीं हो पाता। अंतत: वह फसल नष्ट हो जाती है। विषाणुजनित बीमारियां प्राय: मृदा और बीज से होती हैं लेकिन डॉ. वर्मा ने जो होम्योपैथी दवाइयों के प्रयोग किए हैं वे कारगर रहे हैं। प्रयोग जैविक खेती के अच्छे साधन बन सकते हैं। होम्योपैथिक दवाइयां पूरी तरह से जहर मुक्त होती हैं।
डॉ. शैलेंद्र सिंह ढाका, वरिष्ठ वैज्ञानिक राजकीय कृषि विज्ञान केंद्र