पीएचसी परेवा वैश्य में दम तोड़तीं स्वास्थ्य सुविधाएं
पीलीभीतजेएनएन बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए सरकार करोड़ों रुपये का बजट खर्च कर रही है। सरकार के बजट पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी पतीला लगा रहे हैं। अनदेखी के चलते स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कर्मचारी बेलगाम हो चुके हैं। विकास खंड अमरिया के नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परेवा वैश्य की हालत बदतर है। स्वास्थ्य केंद्र की दीवारों पर स्वास्थ्य कार्यक्रमों का नहीं बल्कि अश्लीलता का प्रचार प्रसार हो रहा है।
पीलीभीत,जेएनएन: बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए सरकार करोड़ों रुपये का बजट खर्च कर रही है। सरकार के बजट पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी पतीला लगा रहे हैं। अनदेखी के चलते स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कर्मचारी बेलगाम हो चुके हैं। विकास खंड अमरिया के नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परेवा वैश्य की हालत बदतर है। स्वास्थ्य केंद्र की दीवारों पर स्वास्थ्य कार्यक्रमों का नहीं बल्कि अश्लीलता का प्रचार प्रसार हो रहा है। लाखों रुपये के बजट से बना स्वास्थ्य केंद्र लापरवाही के चलते खंडहर में तब्दील हो चुका है। खिड़की दरवाजे टूटे पड़े हैं। दीवारों को अश्लील चित्रों से रंगा जा चुका है। न डाक्टर पहुंचता है और न ही कोई अन्य स्टाफ। स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर ग्रामीणों को केवल परेशानी ही मिलती है। आरोग्य मेला भी नहीं लगा
सरकार की ओर से प्रत्येक रविवार को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर आरोग्य मेला आयोजित करने के आदेश दिए गए हैं। आरोग्य मेला का प्रमुख उद्देश्य जनकल्याणकारी स्वास्थ्य नीतियों व ग्रामीणों को इलाज की सुविधा उपलब्ध कराना है। आदेशों के बाबजूद पीएचसी पर आरोग्य मेला नहीं लगा। दर्जन भर गांव की 25,000 आबादी पीएचसी पर निर्भर
नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परेवा वैश्य पर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दर्जन भर गांव की जनता निर्भर है। यह खुजरीखेड़ा, बहादुरगंज, मलखपुर, पस्तोर, हरैरपुर, दीनारपुर, भुरकोनी कई गांव के लगभग 25000 लोगों को इलाज कराने के लिए निकटतम सरकारी स्वास्थ्य केंद्र है। बदहाल व्यवस्थाओं को देखते हुए ग्रामीणों में स्वास्थ्य विभाग के प्रति काफी रोष है। दवा से लेकर वैक्सीनेशन तक में रिश्वत का आरोप
ग्रामीणों ने बताया कि सरकारी अस्पताल में सरकार की ओर से एक रुपये के पर्चे पर निश्शुल्क इलाज की सुविधा उपलब्ध है,लेकिन यहां इलाज के नाम पर वसूली की जाती है। दवा देने के लिए सौ रुपये तक लिए जाते हैं। कोविड-19 वैक्सीनेशन के दौरान भी ग्रामीणों पर दबाव बनाकर रुपये लिए गए हैं। 10 साल पहले बनी पीएचसी
नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परेवा वैश्य का निर्माण हुए दस वर्ष हो चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की अनदेखी के चलते पीएचसी बदहाल स्थिति में पहुंच गई है। ग्रामीणों ने बताया कि इतने वर्षों में कोई अधिकारी निरीक्षण करने नहीं पहुंचा है जिस वजह से पूरा स्टाफ मनमर्जी से काम करता है। इलाज के लिए 20 किमी दूर जाना पड़ता
ग्रामीणों ने बताया कि गांव की पीएचसी न चलने की वजह से उन्हें इलाज कराने के लिए 20 किलोमीटर दूर तक जाना पड़ता है। गांव में कोई डिग्री धारी प्राइवेट डाक्टर भी नहीं है। पीएचसी की हालत बहुत खराब है। लगभग 25000 की आबादी इस पीएचसी पर निर्भर है। ऐसे में यहां हमेशा मूलभूत चिकित्सकीय सुविधाओं की व्यवस्था कराई जानी चाहिए।
- इरफान खान कभी डाक्टर नहीं आते। सप्ताह में एक-दो बार ही कोई स्टाफ आता है। एम्बुलेंस भी खड़ी नहीं होती। इमरजेंसी में एंबुलेंस आने में एक घंटे का समय लग जाता है। पीएचसी में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है।
- रविद्र आबादी के हिसाब से यहां सीएचसी का निर्माण होना चाहिए। पीएचसी पर ही बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। इलाज कराने के लिए यहां से 15-20 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है।
- फुरकान कोविड-19 टीकाकरण में रुपये लिए गए। दवाएं देने पर भी रुपये मांगे जाते हैं। कोई इमरजेंसी सुविधा नहीं मिलती। कई लोग इलाज के अभाव में दम तोड़ चुके हैं। कार्रवाई होनी चाहिए।
- नारायण सिंह जिम्मेदारों ने नहीं उठाया फोन
मामले में जानकारी लेने के लिए प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. लोकेश गंगवार व सीएमओ डा. सीमा अग्रवाल को कई बार फोन किया गया,लेकिन फोन नहीं उठा। जानकारी पर पता लगा कि कई स्वास्थ्य अधिकारी आरोग्य मेला और मुख्यमंत्री की ओर से स्वास्थ्य उपकेंद्रों का वर्चुअल लोकार्पण कार्यक्रम होने के बावजूद मुख्यालय पर मौजूद नहीं थे।