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राजकीय आयुर्वेदिक फार्मेसी का बढ़ेगा कद

सूबे में सिर्फ दो राजकीय आयुर्वेदिक फार्मेसी संचालित हो रही हैं। एक लखनऊ में और दूसरी पीलीभीत में है। पहले तीन फार्मेसी होती थी लेकिन उत्तराखंड राज्य बनने के बाद हरिद्वार की राजकीय आयुर्वेदिक फार्मेसी उसी राज्य के अंतर्गत हो गई। यहां की फार्मेसी लंबे समय से बदहाली का शिकार रही है। सीमित बजट और संसाधनों के बावजूद यहां से पश्चिमी उत्तर के 17 जिलों में संचालित आयुर्वेदिक अस्पतालों औषधियों की आपूर्ति होती है। इस बार सरकार ने अपने बजट में इस फार्मेसी की सुधि ली है। बजट में फार्मेसी को सु²ढ़ किए जाने के साथ ही यहां औषधियों का उत्पादन बढ़ाने का निर्णय लिया जा चुका है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Mar 2021 10:46 PM (IST)Updated: Mon, 22 Mar 2021 10:46 PM (IST)
राजकीय आयुर्वेदिक फार्मेसी का बढ़ेगा कद
राजकीय आयुर्वेदिक फार्मेसी का बढ़ेगा कद

पीलीभीत,जेएनएन : सूबे में सिर्फ दो राजकीय आयुर्वेदिक फार्मेसी संचालित हो रही हैं। एक लखनऊ में और दूसरी पीलीभीत में है। पहले तीन फार्मेसी होती थी लेकिन उत्तराखंड राज्य बनने के बाद हरिद्वार की राजकीय आयुर्वेदिक फार्मेसी उसी राज्य के अंतर्गत हो गई। यहां की फार्मेसी लंबे समय से बदहाली का शिकार रही है। सीमित बजट और संसाधनों के बावजूद यहां से पश्चिमी उत्तर के 17 जिलों में संचालित आयुर्वेदिक अस्पतालों औषधियों की आपूर्ति होती है। इस बार सरकार ने अपने बजट में इस फार्मेसी की सुधि ली है। बजट में फार्मेसी को सु²ढ़ किए जाने के साथ ही यहां औषधियों का उत्पादन बढ़ाने का निर्णय लिया जा चुका है। ऐसे में आगामी वित्तीय वर्ष से काम शुरू होने की संभावना जताई जा रही है।

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ललित हरि राजकीय आयुर्वेदिक कालेज के अधीन संचालित इस फार्मेसी से बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर, रामपुर, मुरादाबाद, जेपीनगर, हापुड़, मेरठ, सहारनपुर समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 17 जिलों के राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालयों को विभिन्न तरह की औषधियों की आपूर्ति होती है। संबंधित जिलों के क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारियों के माध्यम से मांग की जाती है। उनके नाम पर ही औषधियां संबंधित जिलों को भेज दी जाती हैं। पिछले साल इस फार्मेसी को पचास लाख का बजट मंजूर किया गया था। जिससे करीब एक करोड़ रुपये कीमत की औषधियों का निर्माण हुआ। राजकीय फार्मेसी खकरा नदी के तट पर है। पड़ोस में ही देवहा नदी भी बह रही है। ऐसे में जब इन नदियों में बाढ़ आती है तो फार्मेसी के लिए खतरा बढ़ जाता है। परिसर के कई पेड़ नदी कटान में खत्म हो चुके हैं। ऐसे में फार्मेसी भवन के पीछे की ओर पत्थरों की पिचिग सबसे आवश्यक है, जिससे बाढ़ से बचाव हो सके। साथ ही औषधियों का उत्पादन बढ़ाने के लिए बजट बढ़ने के साथ ही स्टाफ भी बढ़ने की संभावना है। इनसेट

आगामी वित्तीय वर्ष में शासन की ओर से इस फार्मेसी को सु²ढ़ बनाने की दिशा में कार्य कराए जाने की संभावना है। साथ ही इसके बाद औषधियों का उत्पादन बढ़ाने के लिए बजट में बढ़ोतरी होने की भी पूरी संभावना है। जो पद रिक्त चल रहे हैं। उन पर नियुक्ति के लिए भी शासन से मांग की जाएगी।

प्रोफेसर राकेश तिवारी, अधीक्षक राजकीय आयुर्वेदिक फार्मेसी


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