ट्रैंक्युलाइज गन चलाने वालों की बनेगी कोर टीम
जंगल से भटककर आसपास के गांव, आबादी क्षेत्र में आने वाले वन्यजीवों को ट्रैंक्युलाइज गन से पकड़ने में मदद मिलेगी।
पीलीभीत : जंगल से भटककर आसपास के गांव, आबादी क्षेत्र में आने वाले वन्यजीवों को ट्रैंक्युलाइज गन से बेहोश करके पकड़ा जाता है। रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए अभी टाइगर रिजर्व और वन विभाग प्रशासन को लखनऊ से विशेषज्ञों की टीम बुलानी पड़ती है। अब स्थानीय स्तर पर ही ट्रैंक्युलाइज गन चलाने वाले विशेषज्ञों की कोर टीम ऐसे ऑपरेशन पूरे करेगी। इसके लिए वनकर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। ट्रेनिंग 19 जनवरी से ही शुरू हो जाएगी।
अधिक वक्त लगने से बढ़ता है आतंक
पांच रेंज में फैले टाइगर रिजर्व के जंगल के आसपास ग्रामीण क्षेत्र हैं। अक्सर बाघ, तेंदुआ और अन्य खतरनाक वन्यजीवों के बाहर आने से खतरा होता है। लखनऊ से ट्रैंक्युलाइज करने वाली विशेषज्ञों की टीम आने में अधिक वक्त लगने से जीव का आतंक और आबादी को खतरा बढ़ता है।
दक्ष कर्मचारियों के तबादले से बढ़ी दिक्कत
टाइगर रिजर्व और वन विभाग में पहले भी कर्मचारियों को यह विशेष गन चलाने का प्रशिक्षण दिया गया था। दक्ष कर्मचारियों के साल-दर-साल अन्य जिलों या वन क्षेत्र में तबादले से स्थानीय स्तर पर दिक्कत बढ़ती गई। वर्तमान में गन चलाने वाले कर्मचारी ही नहीं हैं।
लखनऊ के उपनिदेशक देंगे प्रशिक्षण
कर्मचारियों का दोदिवसीय विशेष प्रशिक्षण सत्र 19 जनवरी से महोफ रेंज के मुस्तफाबाद अतिथि गृह परिसर में होगा। गन चलाने की ट्रेनिंग लखनऊ चिड़ियाघर के उपनिदेशक डॉ. उत्कर्ष शुक्ला देंगे। इसमें रिजर्व के साथ ही वन एवं वन्यजीव प्रभाग के कर्मचारी शामिल होंगे।
व्यावहारिक और विधिक जानकारी मिलेगी
प्रशिक्षण सत्र में वन्यजीव की उम्र, उसकी अवस्था और अन्य परिस्थिति के अनुसार बेहोशी के इंजेक्शन की डोज का निर्धारण करने, दूरी और पोजीशन की ट्रेनिंग मिलेगी। साथ ही वन्यजीवों से जुड़ी विधिक जानकारी भी दी जाएगी। ट्रैंक्युलाइज गन चलाने के लिए वनकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। अभी 50 कर्मचारियों की ट्रेनिंग कराई जाएगी। इनमें से ही चुनिंदा लोगों को कोर टीम में रखा जाएगा, जो रेस्क्यू ऑपरेशन करेगी।
-आदर्श कुमार, उपनिदेशक, टाइगर रिजर्व