अटल और नीरज की यादों को सहेज रहा पीलीभीत
आम तौर पर माना जाता है कि व्यक्ति की विधा उसकी कार्यशैली में परिलक्षित होती है।
पीलीभीत : आम तौर पर माना जाता है कि व्यक्ति की विधा उसकी कार्यशैली में परिलक्षित होती है। जी हां, तराई की सरजमीं पर बसे पीलीभीत जिले के मौजूदा जिलाधिकारी डॉ. अखिलेश मिश्र पर भी यह बात सटीक बैठती है। जिलाधिकारी खुद भी ख्यातिलब्ध कवि के रूप में पहचान रखते हैं। कवि हृदय के कारण ही उन्होंने भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और सुप्रसिद्ध गीतकार गोपाल दास नीरज की यादों को सहेजने जैसा महत्वपूर्ण कार्य किया है। दोनों महान विभूतियों के नाम पर कलेक्ट्रेट परिसर के दो भवनों का नामकरण किया गया है। जाहिर है कि कलेक्ट्रेट के दोनों भवनों को भी एक नई पहचान मिल गई है। वहीं साहित्यप्रेमियों के लिए यह एक सुखद अनुभूति जैसा है। ऐसे शुरू हुई नामकरण की पहल
गत 19 जुलाई को सुप्रसिद्ध कवि व गीतकार गोपालदास नीरज का देहावसान हो गया था। जिलाधिकारी डॉ. मिश्र के प्रयासों से नीरज को भावभीनी श्रद्धाजंलि देने के मकसद से यहां 31 जुलाई की शाम कार्यक्रम आयोजित किया गया था। कारवां गुजर गया..कार्यक्रम में नीरज के लिखे गीतों की प्रस्तुति स्थानीय गायकों ने दी थी। इस मौके पर ही डीएम डॉ. अखिलेश मिश्र ने घोषणा कर दी कि नीरज की यादों को सहेजने के लिए कलेक्ट्रेट परिसर में एक भवन का नामकरण नीरज के नाम से किया जाएगा। कलेक्ट्रेट परिसर में हवा महल के नाम से मशहूर भवन का नामकरण नीरज के नाम से करने की योजना तैयार कर ली गई थी। इस बीच गत 16 अगस्त को भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का देहावसान हो गया। तब डीएम डॉ. मिश्र ने कलेक्ट्रेट के एक दूसरे भवन का नामकरण अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर करने की योजना बनाई । लिहाजा दोनों महान विभूतियों के नाम पर कलेक्ट्रेट के दो भवनों को नई पहचान मिली है। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी और गोपालदास नीरज साहित्यजगत की महान विभूतियां रही हैं। इनकी स्मृतियों को सहेजने का यह छोटा सा प्रयास है। भविष्य में दोनों विभूतियों की स्मृति में आयोजन भी किए जाएंगे। -
डॉ. अखिलेश कुमार मिश्र, डीएम।