पूर्व पालिकाध्यक्ष की जमानत खारिज
सरकारी धनराशि का गबन करने तथा भ्रष्टाचार के मामले में पीलीभीत नगर पालिका के पूर्व पालिकाध्यक्ष राजीव अग्रवाल की जमानत खारिज हो गई है।
पीलीभीत: सरकारी धनराशि का गबन करने तथा भ्रष्टाचार के मामले में पीलीभीत नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन राजीव अग्रवाल उर्फ टीटी की जमानत याचिका प्रभारी सत्र न्यायाधीश संजीव शुक्ल ने सुनवाई के बाद मामला जमानत योग्य न पाते हुए खारिज कर दी।
पीलीभीत नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन राजीव अग्रवाल के विरुद्ध भ्रष्टाचार एवं आर्थिक अनियमितताओं के संबंध में सभासद राकेश ¨सह, देवी ¨सह एडवोकेट, सुरेश कौशल, रामकुमार, गोकिल प्रसाद मौर्य, पुष्पा उपाध्याय आदि ने शासन से शिकायत की थी। जांच विशेष सचिव उत्तर प्रदेश शासन ने अपर जिला मजिस्ट्रेट सुरेंद्र कुमार राठौर से कराई थी। वर्ष 2002, 2003 व 2004 में ठेका तहबाजारी में भ्रष्टाचार व आर्थिक अनियमितता, अपने आवास पर टेलीफोन की एसटीडी सेवा व मोबाइल फोन का बिल नगर पालिका कोष से भुगतान करने तथा नगर पालिका भूमि का किराया नगर पालिका कोष में जमा नहीं करने की जांच की गई। जांच के दौरान सभी आरोप सही पाये गए थे। जिसके बाद तत्कालीन नायब तहसीलदार नगर हेमेंद्र कुमार ने 21 मार्च 2004 को थाना सुनगढ़ी में धारा 409, 420, 468, 471 व 13 (2) भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत राजीव अग्रवाल उर्फ टीटी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया, जिसमें वाद विवेचना आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। न्यायालय ने 25 अगस्त 2009 को आरोप पत्र पर संज्ञान लेकर अभियुक्त को तलब किया गया। उक्त तलबी आदेश के विरुद्ध राजीव अग्रवाल उर्फ टीटी ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद में याचिका प्रस्तुत कर गिरफ्तारी पर रोक का आदेश प्राप्त कर लिया था। उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने 17 मार्च 2016 को गिरफ्तारी पर लगी रोक का आदेश निरस्त कर दिया। उक्त आदेश के बाद भी न्यायालय में हाजिर न होने पर 5 मार्च 2018 को न्यायालय ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया। गत 29 सितंबर 18 को कुर्की का आदेश जारी किया गया। 23 अक्टूबर को राजीव अग्रवाल उर्फ टीटी ने जिला जज बुद्धिराम के न्यायालय में आत्मसमर्पण कर अंतरिम जमानत की मांग की थी, जिसे न्यायालय ने निरस्त कर नियमित सुनवाई हेतु जमानत प्रार्थना पत्र पर 26 अक्टूबर की तिथि नियत कर पूर्व पालिका चेयरमैन को जेल भेज दिया था। उसके बाद जमानत सुनवाई पर 29 अक्टूबर की नियत की गई। सोमवार को प्रभारी सत्र न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से पूर्व चेयरमैन के विरुद्ध 156 पेज की दस्तावेजी रिपोर्ट व अपराध की गंभीरता पर प्रकाश डाला। बचाव पक्ष की ओर से निर्दोष होने की बात कही गई। न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने व पत्रावली का अवलोकन करने के बाद जमानत प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया।