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दरगाह पर 10 किलो चांदी की लौंग लुटाई

आस्तान ए हशमतिया पर चल रहे उर्स के आखिरी दिन कुल शरीफ में अकीदतमंद का सैलाब उमड़ा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 03 Nov 2018 11:39 PM (IST)Updated: Sat, 03 Nov 2018 11:39 PM (IST)
दरगाह पर 10 किलो चांदी की लौंग लुटाई
दरगाह पर 10 किलो चांदी की लौंग लुटाई

पीलीभीत : आस्तान ए हशमतिया पर चल रहे उर्स के आखिरी दिन कुल शरीफ में अकीदतमंद का सैलाब उमड़ आया। दरगाह परिसर लोगों से पूरी तरह भर गया जब वहां जगह नहीं बची तो सैकड़ों लोगों को गेट के बाहर सड़क पर खड़े होकर कुल शरीफ में शामिल होना पड़ा। इस दौरान जिन अकीदतमंद की मुरादें पूरी हुईं उन्होंने दरगाह पर चांदी की लौंग लुटाई। कुल दस किलो चांदी की लौंग लुटाई गई।

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शहर के मुहल्ला भूरे खां स्थित आस्तान ए हशमतिया में उर्स के आखिरी दिन अजमेर शरीफ के सज्जादा नशीन सैयद सुल्तान मियां, सैयद करीदुल हसन, मुंबई से आए मौलाना आमिर रजा खां, नागपुर के मौलाना सुल्तान, सैयद इज्जत अली समेत अन्य उलमा ने तकरीर करते हुए हजरत मौलाना मुहम्मद हशमत अली व हजरत मुशाहिद रजा खां की रुहानी ¨जदगी पर रोशनी डाली। उर्स का पहला कुल शरीफ सुबह 10 बजकर 11 मिनट पर हुआ। आखिरी कुल शरीफ तीन बजे हुआ। दरगाह के सज्जादा नशीन मौलाना मुहम्मद जरताब रजा खां हशमती ने उर्स के दौरान प्रशासन व पुलिस की बेहतर भूमिका के लिए शुक्रिया अदा किया। कहा कि अधिकारियों ने व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान किया। इस मौके पर सैयद इज्जत अली, कौसर खां, मुजीब रजा खां, नाहिद खां, मुफ्ती बुरहान रजा खां समेत तमाम लोग मौजूद रहे। मैं कई साल से उर्स में आ रहा हूं। दरगाह पर हाजिरी देने से बड़ा सुकून मिलता है। मन की मुराद पूरी हो जाती है। आस्तान ए हशमतिया के बारे में बुजुर्गों से बचपन से जैसा सुना करते थे, वैसा ही यहां देखने को मिला है।

-मोहम्मद रहीम खान, राजकोट गुजरात।

हजरत मौलाना मुहम्मद हशमत अली साहब के नेपाल में भी तमाम मुरीद रहे हैं। हमारे नगर नेपाल गंज से भी तमाम लोग हर साल यहां उर्स में शामिल होने आते हैं। दरगाह पर हाजिरी देने वाले सभी लोगों को फैज हासिल होता है।

-जिलेदार बागवान, नेपाल गंज नेपाल।

आस्तान ए हशमतिया दरगाह पूरे देश के साथ ही विदेश तक में मशहूर है। पिछले कई साल से लगातार उर्स में आते रहे हैं। दरगाह में कुछ पल बिताने से काफी सुकून मिलता है। मेरे परिवार के बुजुर्ग भी हमेशा यहां आते रहे हैं। उन्हीं ने रास्ता दिखाया।

मोहम्मद मुश्ताक, हजारी गंज झारखंड।

जिन अकीदतमंदों की इस दरगाह से मुराद पूरी होती है, वे उर्स के दौरान यहां हाजिरी देने के साथ ही चांदी की लौंग लुटाते हैं। हमारे शहर कानपुर से भी अनेक लोग हर साल उर्स के दौरान यहां पहुंचकर फैज हासिल करते हैं। बड़ा अच्छा लगता है।

-मोहम्मद इमरान, कानपुर नगर उत्तर प्रदेश।


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