जश्न-ए-साबिर में कव्वालों ने समां बांधा
जश्न- ए-साबिर पाक परंपरागत ढंग से मनाया गया। कव्वाल बिजनौर के सरफराज अहमद व फिरोजाबाद के अनस चिश्ती ने समां बांध दिया।
जागरण संवाददाता, पीलीभीत : जश्न- ए-साबिर पाक परंपरागत ढंग से मनाया गया। कव्वाल बिजनौर के सरफराज अहमद व फिरोजाबाद के अनस चिश्ती ने समां बांध दिया। मौलानाओं ने अपनी तकरीर में सूफियों का पैगाम देते हुए इंसानियत के रास्ते पर चलने की नसीहत दी।
मंगलवार को एक मैरिज लॉन में जश्न का आगाज पीराने दरगाह साबिरे पाक के हजरत काशिफ मियां साबरी की सरपरस्ती में हुआ। सुबह फज्र की नमाज के बाद कुरान ख्वानी हुई। इसके बाद मीलाद ए पाक हुआ। फिर कव्वाली का प्रोग्राम हुआ। धुंधरी शरीफ के सज्जादानशीन हजरत शाकिर मियां व घेरा शरीफ दरगाह के सज्जादानशीन सूफी हजरत शाहिद मियां ने खिराजे अकीदत पेश की। उन्होंने कहा कि आज हम खुले आसमान में जो सांस ले रहे हैं, इन्हीं बुजुर्गों की तपस्या, त्याग और कुर्बानी का नतीजा है। सभी लोगों को सूफी, संतों के बताए हुए भाईचारा, इंसानियत के आधारों पर चलकर ही खुशहाली और तरक्की मिल सकती है। पीराने दरगाह साबिरे पाक के काशिफ मियां साबरी ने हजरत साबिर ए पाक की रूहान करामात, उनकी तालिमात पर तफ्सील से रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि कुरान ए पाक में साफ तौर पर औलिया इकराम और उनका खुदा से रिश्ता बताया। औलिया इकराम की तालिमात को अपनी जिदगी में ढालें। यही हम सबके लिए ननिजात का जरिया होगा। उन्होंने शिजरा ख्वानी फरमाई। कार्यक्रम के संयोजक दिलफिरोज अहमद फरीदी, मोहम्मद फाजिल हुसैन साबिरी, चांद मियां साबिरी, काजी मोहम्मद फरहान साबिरी, हाफिज मेराजुद्दीन, फिरोज अहमद, मोहम्मद समद, मुइन खां समेत अन्य अकीदतमंद मौजूद रहे।